अन्तर्राष्ट्रीय

पत्रकार स्वेतलाना को साहित्य का नोबेल

स्टॉnobel (1)कहोम, 9 अक्टूबर. बेलारूस की 67-वर्षीय लेखिका स्वेतलाना एलेक्सीविच को महिलाओं के संघर्ष पर लेखनी चलाने के लिए इस साल के साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. स्वेतलाना खोजी पत्रकार और पक्षी विज्ञानी के रूप में भी जानी जाती हैं. नोबेल पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश पिछले साल यूराल फेडरल यूनिवर्सिटी ने की थी. 31 मई, 1948 को यूक्रेन में जन्मी स्वेतलाना की कृतियों में ‘वॉयसेज़ फ्रॉम चेर्नोबिल’ ‘ज़िन्की बॉयज़’, ‘वार्’स अनवूमैनली फेस’ शामिल हैं.

स्वेतलाना ने चश्मदीदों की मदद से चेरनोबिल आपदा (यूक्रेन का परमाणु हादसा) और द्वितीय विश्वयुद्ध का भावनात्मक पक्ष पेश कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई. चश्मदीदों के शब्दों ने ऐसा जादू किया कि स्वेतलाना की कृतियों का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ और कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार उनकी झोली में आये.
67 साल की स्वेतलाना राजनीतिक लेखिका और पहली पत्रकार हैं जिन्हें इस पुरस्कार से नवाज़ा गया है. इनसे पहले साहित्य का नोबेल पुरस्कार रुडयार्ड किपविंग, अर्नस्ट हेमिंगवे और पेट्रिक मोडियानो को दिया गया है.
इस पुरस्कार के अंतर्गत उन्हें 80 लाख क्रोनर मिलेंगे.

स्वेतलाना एलेक्सियाविच का जन्म 31 मई 1948 में यूक्रेन के इवानो-फ्रेंकिविस्क में हुआ था. बाद में वे अपने परिवार के साथ बेलारूस चली गईं थीं.
द्वितीय विश्व युद्ध पर उनकी पहली पुस्तक ‘द अनवोमनली फ़ेस ऑफ़ द वॉर’ (युद्ध का स्त्री विरोधी चेहरा) सामने आई. जिसमें उन्होंने उन हज़ारों रूसी महिलाओं के संघर्ष और पीड़ा का ज़िक्र किया जिन्होंने युद्ध में हिस्सा लिया था. इस किताब में उन्होंने कहा है कि रूस की जीत का श्रेय उन महिलाओं को नहीं मिल पाया.
स्वेतलाना की लिखी कई बहुचर्चित पुस्तकों में एक है ‘द चर्नोबिल प्रेयर- क्रोनिकल्स ऑफ़ द फ़्यूचर’ (चर्नोबिल की प्रार्थना- भविष्य के लिए एक राह) में वे कहती हैं कि हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहां अनजान और नई आपदाओं से बच पाना मुश्किल है.

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