पदक जीतने के बाद पीवी सिंधु ने कही दिल जीतने वाली बात
नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक की धूम इन दिनों दुनियाभर में देखने को मिल रही है। सभी देशों की निगाह पदक जीतने पर लगी है। इसी कड़ी में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। सिंधु को देशभर से बधाईयां देने वालों का तांता लगा है।
रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली छठी सीड सिंधु ने मुशासहीनो फॉरेस्ट प्लाजा कोर्ट नम्बर-1 पर आठवीं सीड बिंग को 52 मिनट में 21-13, 21-15 से हराया और लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी और दूसरी एथलीट बन गईं।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह सिंधु का मात्र दूसरा ओलंपिक था। रियो में सिंधु ने डेब्यू किया था। पदक जीतने के बाद सिंधु ने कहा, “यह मुझे वास्तव में शानदार अहसास दिलाता है क्योंकि मैंने इतने सालों तक कड़ी मेहनत की है।
मेरे अंदर बहुत सारी भावनाएं चल रही थीं – क्या मुझे खुश होना चाहिए कि मैंने कांस्य जीता या दुखी हूं कि मैंने फाइनल में खेलने का अवसर खो दिया? लेकिन कुल मिलाकर, मुझे इस एक मैच के लिए अपनी भावनाओं को रोकना पड़ा और इसे अपना सर्वश्रेष्ठ देना पड़ा। मैं वास्तव में खुश हूं और मुझे लगता है कि मैंने वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया है। मेरे देश के लिए पदक प्राप्त करना गर्व का क्षण है।
यही नहीं, पहलवान सुशील कुमार के बाद लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाली सिधु दूसरी भारतीय हैं। सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
रियो ओलंपिक में सिंधु फाइनल में स्पेन की केरोलिना मारिन के हाथों हार गई थीं। यहां टोक्यो में सिंधु को सेमीफाइनल में ताइवान की ताए जू यिंग के हाथों हार मिली थी।
इस पदक का जश्न मनाने के बारे में सिंधु ने कहा, ” मैं नौवें आसमान पर हूं। मैं इस पल का आनंद लेने जा रही हूं। मेरे परिवार ने मेरे लिए कड़ी मेहनत की है और बहुत प्रयास किया है इसलिए मैं बहुत आभारी हूं। और मेरे प्रायोजकों ने मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है इसलिए मैं उन्हें धन्यवाद देना और इस पल का आनंद लेना चाहती हूं।
सिंधु के इस पदक के साथ टोक्यो में भारत के कुल दो पदक हो गए हैं। इससे पहले वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने रजत पदक जीत था। इस तरह भारत ने रियो में जीत गए पदकों की बराबरी कर ली है। रियो में सिंधु ने जहां कांस्य जीता था वहीं साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य जीता था।