दून स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि अकेले या कुछ लोगों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने का औचित्य नहीं था। यात्रा में हिमालय यूनिटी मिशन के उनके साथी और खुद वे हजारों लोगों से मिले। इसलिए ये मांगें चंद लोगों की न होकर प्रदेशवासियों की आत्मा की आवाज है।
डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि सबसे पहले प्रदेश के निर्माण के बाद से गांवों के विकास की समीक्षा की जाए। इसके लिए एक विस्तृत ग्राम विकास रिपोर्ट तैयार कर ली जाए। किशाऊ बांध के प्रस्ताव को तुरंत रोका जाए। हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर स्थित क्वानु क्षेत्र में टौंस नदी पर प्रस्तावित किशाऊ बांध से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। इसके साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान होगा।
ग्रामीणों की मांग है कि नेशनल पार्क, बायोस्फियर रिजर्व एवं अभयारण्य क्षेत्रों के 124 से अधिक वन ग्रामों में पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। वन पंचायतों को सशक्त नहीं बनाया गया है। वन पंचायतों को रायल्टी का धन उपलब्ध नहीं कराया गया है। सरकार को चाहिए कि वह 1931 वाली नियमावली को राज्य में जारी रखे। गांवों की बजट राशि बढ़ाई जाए।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि छोटे-बड़े बांध, भूमि अधिग्रहण, सड़क आदि बनाने से पहले जनमत संग्रह कराना जरूरी है। इससे सर्वसम्मति से विकास हो सकेगा। सुझाव दिया गया है कि बेरोजगार युवाओं के लिए प्रशिक्षण कंपनियां बनाई जाएं। पत्रकार वार्ता मुन्ना सिंह राणा, द्वारिका प्रसाद सेमवाल, जेपी मैठाणी, विनोद खाती, शालिनी नेगी, पिंकी चौहान, हर्षवर्धन नवानी आदि उपस्थित थे।
भाजपा-कांग्रेस को सिखाएं सबक, आजाद उम्मीदवार चुनें
डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि उनकी कोई राजनीतिक आकांक्षा नहीं है। वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका अभियान व्यवस्था परिवर्तन और लोक जागृति का है। लेकिन साथ ही अगर लोग चाहेंगे तो वे मुद्दों के आधार पर गैर भाजपाई, कांग्रेसी और दलगत ईमानदार, जुझारू व्यक्ति को आजाद उम्मीदवार बना सकते हैं।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण भी वैकल्पिक राजनीति की बात करते थे। अभी तक भाजपाई-कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों ने लोगों को निराश किया है। इसलिए व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई लड़ने वाले लोगों का चयन लोग करें और उन्हें चुनकर विधानसभा भेजें। 2017 के विधानसभा चुनाव में लोगों को वैकल्पिक राजनीति आजमानी चाहिए।