पद्मावती के खिलाफ गुजरात और महाराष्ट्र के कई इलाकों में विरोध
सर्वोच्च न्यायालय ने फिल्म ‘पद्मावती’ को सिनेमाघरों में दिखाए जाने से रोकने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और इस फिल्म के मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) अभी तक इसके प्रमाणन पर फैसला नहीं कर पाया है.
लेकिन कुछ हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों का कहना है कि इस फिल्म के जरिए इतिहास को तोड़-मरोड़ पेश किया गया है, साथ ही पद्मावती का गलत तरीके से चित्रण किया गया है. वहीं, भंसाली ने इन आरोपों को खारिज किया है. अपनी फिल्म ‘पद्मावती’ को भंसाली ने राजपूत रानी पद्मावती के बलिदान, वीरता और प्रतिष्ठा के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि बताया है.
उन्होंने कहा कि यह फिल्म देखकर राजपूत समुदाय गर्व महसूस करेगा.भंसाली ने कई बार स्पष्टीकरण दिया है कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है, जो किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाता हो. उन्होंने उन अफवाहों का खंडन किया है, जिनके मुताबिक रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम संबंधी दृश्य हैं.” लेकिन फिल्म पद्मावती के खिलाफ उठा विवाद अब भी खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है. गुजरात सहित महाराष्ट्र के कई इलाकों में लोग फिल्म पद्मावती का विरोध कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में अखंड राजपूताना सेवा संघ के लगभग 15 लोगो को डिटेंड किया हैं.