पर्दे के पीछे की कहानी, GST पर कांग्रेस के साथ यूं बनी बात
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नई दिल्ली। जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अहम कामयाबी मिली। पिछले दो साल के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार इस बिल को पारित कराने की कोशिश कर रही थी। इस बिल की राह में कई तरह की रुकावटें आयीं। लेकिन पीएम मोदी का अथक प्रयास रंग लाया और ये बिल सर्वसम्मति से दोनों सदन से पारित हो गया।
जानकारों का मानना है कि इस बिल की राह में सबसे बड़ी अड़चन कांग्रेस की तरफ से थी। लेकिन पीएम ने जिस राजनीतिक कौशल का प्रयोग किया उसके बाद कांग्रेस को एक तरह से झुकना पड़ा।
जीएसटी के समर्थन में एक सुर में दूसरी विपक्षी पार्टियों के समर्थन के बाद कांग्रेस के पास सरकार को समर्थन देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था।
पीएम मोदी के साथ-साथ सरकार के रणनीतिकार संसद के पटल से लेकर सार्वजनिक तौर पर ये बताने की कोशिश करते थे कि जीएसटी देश के लिए क्यों जरूरी है।
पीएम दूसरे राजनीतिक दलों और राज्यों में विपक्षी सरकारों को ये समझाने में कामयाब रहे कि इस बिल के जरिए राज्य अपनी तरक्की की रफ्तार को और तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।
केंद्र सरकार की कोशिश रंग लायी और तमिलनाडु को छोड़कर देश के करीब सभी सूबों ने इस बिल पर अपने समर्थन की सहमति दे दी। तमिलनाडु भी इस बिल पर कुछ प्रावधानों को छोड़कर सैद्धांतिक तौर पर सहमत था।
तमिलनाडु की सीएम जयललिता ने संकेत दे दिए थे कि अगर वो सरकार का समर्थन नहीं करेंगी तो विरोध भी नहीं करेंगी। ऐसे में सरकार को भी यकीं हो गया कि वोटिंग के हालात में भी वो जीएसटी बिल को पारित करा लेंगे।
इन सब बदले हुए राजनीतिक हालात में कांग्रेस को ये डर सताने लगा कि कहीं वो जनता के सामने जीएसटी विरोधी पार्टी के तौर पर तो नहीं पेश हो रही है। कांग्रेस ने भी बीच का रास्ता निकाल कर सरकार से कुछ संशोधनों की मांग की जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया।