
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बौध सर्किट से जुड़े गांव में रची-बसी लोक संस्कृति से पर्यटकों को परिचित कराने की कोशिशें तेज हो गईं हैं। इसके लिए विश्व बैंक की प्रीपरेशन सपोर्ट मिशन टीम ने सर्किट से जुड़े गांवों का भ्रमण कर योजना का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में कुशीनगर और सारनाथ पहुंची टीम ने इनके आसपास के ग्रामीण इलाकों में पर्यटन की सम्भावनायें तलाशी हैं। टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है। प्रदेश सरकार व विश्व बैंक के संयुक्त प्रयासों के रंग लाते ही उप्र के बौद्ध सर्किट से जुडे़ गांव विश्व पर्यटन के मानचित्र पर दिखाई देंगे। मिल्टन काल व शांतनु सेठ की अगुवाई वाली टीम बौद्ध तीर्थ स्थल श्रावस्ती व कुशीनगर का दौरा कर चुकी है। टीम के मुताबिक विश्व बैंक की सहायता से 1800 करोड़ रूपये की ‘‘प्रो पुअर टूरिज्म डेवलपमेंट प्रोग्राम‘‘ के तहत सभी प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों पर पर्यटन से जुड़े आधारभूत संसाधनों का विकास किया जाएगा। इसके साथ ही बौद्ध स्थलों के आसपास के गांवों का भी कायाकल्प किया जायेगा। टीम का मानना है कि गांवों में पर्यटन आधारित सुविधाओं के विकास से बौद्ध स्थलों को देखने आने वाले पर्यटक गांवों का रुख करेंगे। यहां आने वाले पर्यटकों को गंावों में रची-बसी भारतीय संस्कृति, कला, रहन-सहन, खान-पान आदि से परिचित होंगे। इससे ग्रामीणों को रोजगार मिलने की राह भी खुलेगी। टीम के सदस्यों ने कुशीनगर इंटरनेशनल परियोजना स्थल व मैत्रेय परियोजना स्थल को देखने के बाद विकास की काफी संभावना जताई है। प्रीपरेशन सपोर्ट मिशन टीम के सदस्य शांतनु सेठ ने बताया, ‘‘ टीम इस समय सारनाथ में पहुंची हुई है। हमने यहां कई जगहों पर जाकर यहां पर्यटन की सम्भावनायें तलाशी गयी हैं। इस दौरे का मुख्य मकसद बौध सर्किट से जुड़े गांवों तक पर्यटकों को पहुंचान है ताकि गांवों का आर्थिक विकास हो सके।‘‘