पर्यावरण के कारण पराली समस्या का स्थायी समाधान लाएगी केंद्र सरकार
केंद्र सरकार बहुत जल्द पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान लेकर आएगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को राज्यसभा में बताया कि केंद्र सरकार इस समस्या से निपटने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल पराली के एवज में किसानों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। मंत्री ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में सदन को बताया, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में एक विशेष समिति गठित की गई है जो पराली का हल निकालने के लिए नई योजना बनाएगी। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि समिति एक या दो महीनों में योजना तैयार कर लेगी।
रूपाला ने कहा, कुछ राज्याें में किसान अगली फसल की बुआई करने के लिए पराली जलाता है। सरकार इन किसानों को पराली की राख के फसल पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जागरूक करेगी। इसके अलावा सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए 1151 करोड़ रुपये की मशीनें दी हैं। तीन राज्याें को अब तक 55 हजार मशीनें बांटी गई हैं।
पराली से ये नुकसान
रूपाला ने सदन को बताया कि अनुमान के मुताबिक एक टन धान की पराली में करीब 5.5 किलो नाइट्रोजन, 2.3 किलो फॉसफोरस पेंटॉक्साइड, 25 किलो पोटाशियम ऑक्साइड और 1.2 किलो सलफर होता है। पराली के जलाने से 400 किलो कार्बन निकलता है। इससे भूमि के जरूरी तत्व खत्म हो जाते हैं साथ ही जमीन का तापमान, नमी, फासफोरस और ऑर्गेनिक तत्वों पर प्रभाव पड़ता है।