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पर्यावरण के लिए घातक अत्यधिक उत्पादन और उपभोग: प्रो. देवनानी

Highly-lethal-environment-for-production-and-consumption-Pro-Devnani (1)दस्तक टाइम्स/एजेंसी- नई दिल्ली:

अजमेर। जिले के प्रभारी एवं शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि  आज पूरे विश्व में प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उत्पादन और असीमित उपभोग की मानसिकता बढ़ती जा रही है। जनसंख्या के बढने के साथ-साथ लोगों में अत्यधिक उपभोग और उत्पादको में भी अत्यधिक उत्पादन की होड़ मची हुई है। इससे प्रकृति के संतुलन में बदलाव आया है। यह दोहन घातक है। हमें पर्यावरण और अपनी संस्कृति को  बचाने के लिए उत्पादन और उपभोग पर अंकुश लगाना ही होगा। ताकी हम सब यह बात भी सोच सके कि हम अपनी भावी पीढ़ी को क्या देकर जा रहे हैं।

 शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी आज सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में भूगोल विभाग एवं राजस्थान भूगोल परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आमजन का शहरों की ओर पलायन से गाँव कम होते जा रहे हैं। शहरों में कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं। ये कंक्रीट के जंगल ही पर्यावरण के लिए सबसे अधीक घातक माने गये हैं। हमें अपने विकास के साथ-साथ पर्यावरण के विकास की ओर भी ध्यान देना होगा। हम सब लोगों को प्रकृति की और बढऩा होगा । विकास की दर को पर्यावरण की अनुकूलता के आधार पर निर्धारित करना चाहिए।

 प्रो. देवनानी ने कहा कि पुरातन मूल्यों, संस्कृति और ज्ञान के क्षेत्र में व्यापक शोध को आगे बढ़ाएं। केवल अनुकरण से ही हम सफल नहीं हो सकते है। अनुकरण से ही भारत विश्व गुरू नहीं बन सकता है। हमें अपने शोध के दायरे को वेदों और प्राचीन भारतीय संस्कृति से जोडक़र आगे बढ़ाना होगा। आधुनिक बनने की होड़ में हम पर्यावरण को भूलते जा रहे हैं। और हम भारत माता की जय का नारा लगाते हैं, यह सिर्फ नारा नहीं बल्कि एक संकल्प भी है। यह देश के विकास और स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत के प्रति हमारा उद्घोष है। समापन समारोह के प्रांरम्भ में अतिथियों के स्वागत के पश्चात् आयोजन सह सचिव डॉ. कीर्ति चौधरी ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि लगभग 210 शोध पत्र प्रस्तुत हुए हैं।

 

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