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पश्चिमी यूपी में एकजुट हुए विपक्ष से भाजपा को मिल सकती है कड़ी चुनौती

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की प्रयोगशाला रह चुके पश्चिमी यूपी में कैराना लोकसभा व नूरपुर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में एकजुट विपक्ष से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल सकती है। विपक्षी एकता टूटी तो भाजपा की राह आसान हो सकती है। इन दोनों सीटों पर रालोद की भूमिका भी अहम होगी।पश्चिमी यूपी में एकजुट हुए विपक्ष से भाजपा को मिल सकती है कड़ी चुनौती

सपा मुखिया अखिलेश यादव कैराना सीट को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती व रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह से मशविरा करके ही कोई फैसला करेंगे। इसमें तीन-चार दिन लग सकते हैं।

कैराना व नूरपुर सीट क्रमश: 2014 व 2017 में भाजपा ने जीती थी। सांसद हुकुम सिंह और विधायक लोकेंद्र सिंह के निधन से रिक्त हुई इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव पश्चिमी यूपी में भाजपा की लोकप्रियता के आकलन का पैमाना बनेंगे। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इन उपचुनावों में गोरखपुर व फूलपुर की तरह विपक्षी दलों में व्यापक एकता बन पाएगी या नहीं। इस इलाके की राजनीति के जानकार मानते हैं कि एकजुट विपक्ष ही भाजपा को कड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

2014 में सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़े तो भाजपा के हुकुम सिंह को कैराना में 50 फीसदी से ज्यादा मत मिले। उन्हें अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से लगभग 2.37 लाख वोटों की बढ़त मिली थी। हालांकि , 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कैराना संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा की पांच में से चार सीटें जीतीं लेकिन उसके वोटों में 1.34 लाख की गिरावट आ गई थी।

उस समय सपा और कांग्रेस गठबंधन करके चुनाव लड़ी थी। सपा एक सीट जीती थी जबकि कांग्रेस तीन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। एक सीट पर बसपा दूसरे नंबर पर थी।

दंगों के बाद हुए चुनाव में हुआ था ध्रुवीकरण

2014 के लोकसभा चुनाव सितंबर 2013 में हुए दंगों के बाद हुए थे। उस समय वोटों के ध्रुवीकरण का भाजपा को जबर्दस्त लाभ मिला था। अब हालात बदल गए हैं। सामाजिक कटुता व अलगाव कम हुआ है।  
 
गठबंधन से जयंत को चुनाव लड़ाना चाहता है रालोद
राष्ट्रीय लोकदल 2019 के पहले वेस्ट यूपी के सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए कैराना सीट पर विपक्षी दलों के गठबंधन से जयंत चौधरी को चुनाव लड़ना चाहता है। रालोद ने पिछले कुछ महीनों में इस क्षेत्र में काफी काम किया है। अजित सिंह व जयंत के कई दौरे हो चुके हैं। शामली व थाना भवन विधानसभा सीट पर रालोद का ज्यादा प्रभाव है। उसकी इस उपचुनाव में अहम भूमिका होगी।
 
कांग्रेस भी रखती है दखल
इस इलाके में गंगोह, नकुड़ व शामली सीट पर कांग्रेस का अच्छा आधार है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन तीनों सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। नकुड़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान मसूद 90 हजार से ज्यादा वोट लेकर मामूली मतों से चुनाव हार गए थे।
 
नूरपुर में गेंद सपा के पाले में
नूरपुर में प्रत्याशी सपा को तय करना है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लोकेंद्र सिंह ने 79,172 वोट लेकर इस सीट पर दूसरी बार जीत हासिल की थी। सपा के नईमुल हसन दूसरे नंबर पर रहे थे जिन्हें 66,436 मत मिले थे। 45,902 वोट लेकर बसपा तीसरे नंबर पर रही थी। भाजपा इस सीट पर दिवंगत लोकेंद्र सिंह की पत्नी अवनी सिंह को चुनाव लड़ाएगी। सपा के नईमुल हसन का मजबूत दावा है लेकिन कोई और भी प्रत्याशी उतारा जा सकता है।

चुनाव परिणाम : 2014 लोकसभा

दल           प्रत्याशी           वोट
भाजपा     हुकुम सिंह         5,65,909
सपा        नाहिद हसन        3,29,081
बसपा      कंवर हसन         1,60,414
रालोद      करतार भड़ाना     42,706

2017 में पांचों विधानसभा क्षेत्रों में कुल मिले मत
भाजपा             4,32,569
कांग्रेस/सपा       3,51,630
बसपा              2,08,225
रालोद              86,655   

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