पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से उत्तर भारत में शीतलहर, पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता
पिछले वर्ष नवम्बर 2017 में उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के बाद ही शीत लहर चली थी | मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिम से होने वाले डिस्टरबेंस की वजह से कश्मीर घाटी में बर्फबारी होती है। इसके साथ यदि हवा का रुख उत्तरी हो तो यहां ठंड पड़ती है।
15 दिसम्बर 2017 को पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश
इससे ठंड के साथ शीतलहर ने भी आमजनों की कठिनाई बढ़ा दी और मैदानी इलाकों में भी बर्फबारी का असर दिखने लगा था । दिल्ली-एनसीआर मे भी कड़ाके की सर्दी का दौर शुरू हो गया था और राजस्थान के माउंट आबू में झील ही जम गई थी । इसी बीच उत्तराखंड में मंगलवार को हुई बर्फबारी और बारिश के बाद पहाड़ से लेकर मैदान तक सर्दी का प्रकोप बढ़ गया और गुरुवार सुबह मैदानों में जबरदस्त कोहरा पसरा रहा। सर्द हवा से ठिठुरन बढ़ने से अगले तीन दिन के लिए कोहरे को लेकर चेतावनी जारी की गई थी । हरिद्वार और उधमसिंह नगर में कोहरा तो पर्वतीय क्षेत्रों में पाला पडऩे की संभावना बताया गया ।
हिमाचल में दिक्कतें बरकरार : हिमाचल में तीन दिन तक लगातार बारिश व बर्फबारी के बाद गुरुवार को मौसम साफ हो गया। कड़ाके की ठंड के बाद आने वाले दिनों में लोगों को राहत मिलेगी। बीते दिनों हुई बर्फबारी के बाद जनजातीय क्षेत्र में पटरी से उतरा जनजीवन अभी भी सामान्य नहीं हो पाया है। इन इलाकों में सड़कें बंद पड़ी हुई हैं, जिससे दैनिक उपयोग की वस्तुओं की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है। चंबा जिले में अभी भी 26 सड़कों पर यातायात बहाल नहीं हो पाया है। वहीं 30 गांवों में तीन दिन से बिजली आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। गुरुवार को केलंग का न्यूनतम तापमान -6.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
एक तरफा खुला श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग : वादी को देश व दुनिया के शेष हिस्सों से जोडऩे वाला श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग दो दिन लगातार बंद रहने के बाद एक तरफा यातायात के लिए खोल दिया गया। राजमार्ग को भी जवाहर सुरंग के निकट भारी बर्फबारी और कई जगहों पर भूस्खलन के चलते बंद कर दिया था। हाईवे पर दिनभर वाहन जम्मू से श्रीनगर की तरफ आते रहे। भूस्खलन वाले क्षेत्रों में कर्मियों की तैनाती की गई है। जम्मू को पुंछ से और पुंछ से कश्मीर को जोडऩे वाला मुगल रोड बर्फबारी के चलते पहले ही बंद है। वहीं कठुआ के चïट्टर गाला पास से मंगलवार को बर्फीले तूफान में लापता तीन व्यक्ति बचा लिए गए हैं।
जमने लगा नलों का पानी : जम्मू-कश्मीर के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी का सिलसिला लगातार जारी रहा और तापमान के शून्य से नीचे बने रहने के चलते भीषण ठंड का प्रकोप फिर से बढ़ गया है। प्रसिद्ध डल झील समेत सभी जलस्रोत व नल आंशिक तौर पर जम गए हैं। श्रीनगर में रात का न्यूनतम तापमान -1.2, दिन का अधिकतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। गुलगर्म में रात का न्यूनतम तापमान -9.8 व पहलागम में रात का न्यूनतम तापमान -6.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
कांपेगी दिल्ली, ठिठुरेंगे लोग : मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली वेदर वेबसाइट स्काई मेट के अनुसार कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल में हुई बर्फबारी के कारण उत्तरी हवा का प्रभाव दिल्ली के मौसम को प्रभावित करेगा। इससे अधिकतम व न्यूनतम तापमान में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है। अभी अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में भी गिरावट होगी और ठंड का प्रभाव बढ़ेगा। हल्की बारिश सर्दी में इजाफा कर सकती है।
राजस्थान में सर्दी का सितम जारी : राजस्थान में पिछले दिनों हुई बारिश के बाद बढ़ी सर्दी का सितम जारी है। अलवर में सर्दी से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। राज्य के एकमात्र पर्वतीय स्थल माउंट आबू में पिछले दो दिन से पड़ रही तेज ठंड के कारण नक्की झील जम गई है। यहां तेज ठंड के चलते पर्यटक लौटने लगे हैं।
विपरीत मौसम में केदारनाथ से लौटे 70 श्रमिक : रुद्रप्रयाग। केदारनाथ में कड़ाके की सर्दी के बीच पुनर्निर्माण कार्यों में जुटे लोक निर्माण विभाग के सभी 70 श्रमिक लौट गए हैं। इन श्रमिकों का कहना है कि ऐसे में मौसम में काम करने में परेशानी हो रही है। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि मौसम अनुकूल होते ही श्रमिक केदारनाथ लौट जाएंगे।
27 दिसम्बर 2017 से देश के समूचे उत्तरी भागों में शीतलहर जारी
शीत लहर का असर पूरे उत्तर भारत के साथ-साथ देश के कई अन्य स्थानो में भी महसूस किया जा रहा है। हिमाचल में पारा 0.2 डिग्री तक पहुंच गया । शिमला, धर्मशाला, केलांग, पालमपुर सहित उचाई वाले अन्य सभी इलाको में शीत लहर चरम पर है । इसी के साथ देश के अन्य राज्यों में भी शीत लहर के बढ़ने के आसार प्रबल हो रहे है । इसी के साथ एक और खबर है, कि देश के 91 प्रमुख जलाशयों का जल स्तर लगातार गिर रहा है, इनकी जल संचयन क्षमता 62% हो गई है, जो पिछले सप्ताह तक 64% थी । पिछले सप्ताह 101.77 अरब घनमीटर पानी था, जो अब घट कर 98.57 अरब गहन मीटर रह गया है। पिछले साल की तुलना में इन जलाशयों में इस समय तक पानी का स्तर काफी कम है. बीते वर्ष इस समय इनमे 96% जल संचय था. इन जलाशयों की कुल क्षमता 157.799 अरब घनमीटर है. पूरे देश में हुई कम बारिश के कारण इन जलाशयों में शुरू से ही कम जल संचय हुआ है। पर्याप्त वर्षा के न होने और लगातार दोहन के चलते आने वाले दिनों में पानी की किल्लत होना संभावित है ।
इस समय पुरे देश में सिचाई में भी पानी का उपयोग किया जा रहा है, हालांकि इस वर्ष देश भर में 65 -70 % भूमि पर पानी की कमी के चलते फसल नहीं लगाई गई है.
30 दिसम्बर 2017 से शीतलहर का कहर, हवाई यातायात प्रभावित, ट्रेनों पर असर
उत्तर भारत में शीतलहर ने कहर बरपाया। कोहरे की वजह से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दृश्यता कम रही। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में शीतलहर ने कहर बरपाया। इन राज्यों में कई जगहों पर न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे रिकॉर्ड किया गया। कोहरे की वजह से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में दृश्यता कम रही। हालांकि दोपहर बाद धूप निकली और लोगों ने राहत की सांस ली।
जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में कई जगहों पर तापमान शून्य से नीचे : कश्मीर में काफी समय से शुष्क चल रहे मौसम के मिजाज छह जनवरी से फिर से बदलने वाले हैं। मौसम विभाग की मानें तो पश्चिमी हवाएं फिर से सक्रिय हो रही हैं, जिससे वादी में ताजा बर्फबारी व बारिश की संभावना है। इस बीच, शुक्रवार को श्रीनगर समेत अन्य इलाकों में दिन में हल्की धूप छाई रही, जिससे ठंड का प्रकोप कुछ हद तक कम हो गया। हालांकि रात को तापमान के जमाव बिंदु से नीचे बने रहने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। कारगिल में न्यूनतम तापमान शून्य से 9.2 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। लेह शून्य से 11.4 डिग्री सेल्सियस नीचे के साथ राज्य का सबसे ठंडा क्षेत्र रहा।
हिमाचल में चार जनवरी 2018 तक बारिश व बर्फबारी की संभावना नहीं : हिमाचल प्रदेश में चार जनवरी तक बारिश और बर्फबारी की संभावना नहीं है। कई दिन से आसमान में बादल छाए रहने के कारण सूखी ठंड ने परेशानी फिर बढ़ा दी है। शिमला में न्यूनतम तापमान 7.0 डिग्री सेल्सियस रहा। प्रदेश में सबसे कम तापमान केलंग में -6.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उधर उत्तराखंड में नववर्ष का जश्न मनाने और बर्फबारी के दीदार को मसूरी, नैनीताल, औली आदि पर्यटन स्थलों पर देशी-विदेशी सैलानियों का जमघट लगा है, लेकिन मौसम का मिजाज अब तक उन्हें निराश ही कर रहा है। अगले 24 घंटों में भी बारिश अथवा बर्फबारी के कहीं आसार नजर नहीं आ रहे।
पंजाब में कड़ाके की ठंड में मनेगा नववर्ष : पंजाब में हर तरफ नए साल के स्वागत व जश्न की तैयारियां चल रही हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो पंजाब में नए साल का जश्न कड़ाके की ठंड व कोहरे में मनेगा। नववर्ष पर घना कोहरा पडऩे का पूर्वानुमान जताया गया है। उधर, शुक्रवार को भी पंजाब में बठिंडा शिमला से भी ठंडा रहा। यहां का न्यूनतम तापमान 4.0 डिग्र्री सेल्सियस रहा। शीतलहर और घने कोहरे के कहर से पंजाब में हवाई यातायात प्रभावित रहा। शुक्रवार की रात कम विजीबिलिटी के चलते श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, अमृतसर पर पहुंचने वाली इंडिगो की फ्लाइट को रद कर दिया गया।
पटना ने ओढ़ी कोहरे की चादर : पछुआ हवा के साथ घने कोहरे ने पटना समेत बिहार के विभिन्न जिलों के लोगों को कंपकंपा दिया है। मौसम विभाग के अनुसार पटना में इस समय सामान्य अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था, लेकिन 17.4 डिग्री होने के कारण गलन का अहसास रहा। उधर झारखंड की राजधानी रांची में ठंड से थोड़ी राहत मिलनी शुरू हो गई है। रांची और कांके के तापमान में हल्की बढ़त देखी गई।
दिल्ली में तापमान और प्रदूषण दोनों बढ़ा : दिल्ली में एक बार फिर प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की गति कम होने और नमी के कारण प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग के अनुसार दिल्ली में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 का स्तर 197 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। राजधानी में सुबह कोहरा छाए रहने के कारण ट्रेनों के परिचालन पर असर पड़ा। राजधानी का अधिकतम तापमान 25.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक है जबकि न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
4 जनवरी 2018 – उत्तर-प्रदेश में कडाके की ठंड
यहाँ पर लगातार नव वर्ष के आगमन के दो-तीन दिन पूर्व से अभी तक कड़ाके की ठंड को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिला अधिकारियों को बेघर और गरीब लोगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने अभी तक सात सौ आठ रैन बसेरे बनाये हैं, जिसका निरीक्षण भी मुख्यमंत्री स्वय कर रहे है । पंजाब और हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में भी शीतलहर जारी है। उधर, राजस्थान में माउंट आबू सबसे ठंडा स्थान रहा। जम्मू कश्मीर में लेह, करगिल, और श्रीनगर में रात के तापमान में वृद्धि हुई है।
जम्मू-कश्मीर में हुई बर्फबारी के चलते कानपुर, लखनऊ आदि शहरो में गुरुवार को चली शीतलहर ने शहरवासियों को परेशान कर दिया। सुबह धूप जरूर निकली पर हल्की बदली होने की वजह से किसी तरह की राहत नहीं मिली। सीएसए के मौसम वैज्ञानिकों का कहना था, आने वाले दो-तीन दिन तक इसी तरह का मौसम रहेगा। इसके बाद आसमान साफ होगा। यहां के मौसम विभाग में अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से आठ डिग्री सेल्सियस कम रहा। इसी तरह न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ जो सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस कम था। अधिकतम आर्द्रता 98 फीसद और न्यूनतम आर्द्रता 49 फीसद मापी गई। हवाओं की गति 7 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। दिन में धुंध रहने के चलते अधिकतम तापमान सामान्य से कम हुआ। इस समय पहाड़ों पर जो बर्फबारी हो रही है, वह निचले स्तर पर है। वहां से आने वाली हवाएं ठंडक बढ़ा रही हैं।
दिसम्बर 2017 से प्रारम्भ हुई ठन्ड, अब हाड-कपाऊ शीतलहर में क्यो बदली?
ग्लोबल वार्मिंग के कारण निरंतर जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। हमारी ऋतुये भी बदल रही है। इसका मुख्य कारण विश्व मे जनसंख्या में वृद्धि है। उसी के साथ-साथ हमरी आवश्यकताये बढी और हम पृथ्वी के खनिजो का अनाप-सनाप दोहन करने लगे। विकाश की गति को बढाने मे पकृति का ध्यान ना देकर वृच्छो को जंगलो से काट्ना शुरू कर दिया और जलाशयो को पाटकर जमीन का उपयोगया तो खेती के लिये या उसे कालोनी वसाने मे लगा दिये और कांक्रीट के जंगलात खडे कर दिये । विजली व वाहनो की आवश्यकता हेतु कोयले, पेट्रोल-डीजल, गैस का अनियंत्रित ढंग से दोहनकर पूरे पारितंत्र को उलट-पलट कर दिया जिससे ऋतुये का समय मे परिवर्तन इतना अधिक हो गया कि या तो मैदानी इलाके मे वारिश न होकर सूखा अथवा भीषण वर्फीली हवाये तथा समुद्री स्थलो पर वसे शहरो में अति-वृष्टि अथवा तूफानो से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। यही नही इसकी तीव्रता प्रतेक वर्ष बढ्ती ही जा रही है । भूकंप की बढोत्तरी भी हो रही है। आइये इस पर गहन विचार करे ऐसा क्यो हो रहा है?
- जब वैश्विक तापमान से पृथ्वी गरम होगी तो पहाडिया जहा गलेशियर है, वे भी नीचे से गरम होगे तथा वर्फीली चट्टानो मे दरारे पडना और वारिश मे उन्ही वर्फीली चट्टानो का टूटना स्वाभाविक है । इससे जन्हा एक तरफ पहाडी इलाके अब विल्कुल ही सुरक्षित नही रह गये है और प्रत्येक वर्ष चाहे केदार-नाथ हो या बदरीनाथ धाम हो या कोई अन्य पहाडी इलाका हो भीषण आपदाओ से गुजर रहे है और इनकी तीव्रता भी बढती जा रही है।
- दूसरी तरफ ग्लेसियर के पिघलने और शीतकाल में पुनः उस ऊचाई तक न जमने से मैदानी इलाके मे वारिश नही हो पा रही है । जब भी पहाडियो पर वर्फ पडती है वह नीचे खसक जा रही है, इसका मुख्य कारण है पहाडो पर पहले से जमी ग्लेसियर पडने वाली ग्लेसियर से गरम है तो उस पर जमेगी कैसे । मैदानी इलाके इस तरह प्रत्येक वर्ष शीत-लहर के चपेट मे आ रहे है । यहा तक की रेगास्तानी इलाको मे भी वर्फ जमने लगी है ।
- इसका केवल उपाय- प्रकृति, पर्यावरण, पानी व पेड़-पौधों के महत्व को गहराई से समझने का है और हमे संवेदनशील होकर उनसे सानिध्य स्थापित करना होगा । जब हमारी पृथ्वी जिसे हम माता कहते है, हरी भरी होगी तो पर्यावरण स्वस्थ होगा, पानी की प्रचुरता से प्रकृति अपने पुनः पूर्व स्वरूप आ सकती है, जिससे सही अर्थों में जीवन सुखद होगा।