कोलकाता : पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में बेरोजगार युवक-युवतियों, महिलाओं और अन्य लोगों को स्वरोजगार प्रदान करने व सामाजिक आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई योजना ‘मुक्तिधारा’ को अगले दो सालों में व्यापक तौर पर राज्यभर में लागू किया जाएगा। सोमवार को राज्य सचिवालय की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। बताया गया है कि राज्यभर के 106 गांवों को चिन्हित किया गया है जहां के लोगों को इस योजना के तहत तमाम तरह का प्रशिक्षण देकर आर्थिक रूप से सक्षम किया जाएगा ताकि उनका सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास हो सके।
मिली जानकारी के मुताबिक राज्य स्व-सहायता समूह और स्व-रोजगार (एसएचजी एंड एसई) विभाग ने इस योजना की शुरुआत की है। गांवों में एसएचजी के सदस्यों, उनके परिवारों और बेरोजगार युवाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए मुक्तिधारा एक अनूठी स्थायी आजीविका परियोजना के रूप में शुरू हुई है। इसका लक्ष्य है स्थायी साधनों के माध्यम से आय का सृजन। इसके साथ ही सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना को सुगम बनाना और कार्यबल विकसित करना।
विभिन्न गांव में विभिन्न तरह के क्लस्टर स्थापित करने के साथ-साथ संबंधित विभागों के बीच समन्वय बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास भी इस योजना का मूल लक्ष्य है। योजना के उद्देश्य के अनुसार, अगले दो वर्षों में, राज्य के 11 जिलों के 39 उपखंडों में मौजूद 106 गांवों के लोगोंं को आर्थिक रूप से सक्षम किया जाएगा। राज्य के उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पूर्व बर्धमान, पश्चिमी बर्धमान, हावड़ा, हुगली, मुर्शिदाबाद, नादिया, पश्चिमी मेदिनीपुर, झाड़ग्राम और पुरुलिया जिले के गांवों को इसके लिए चुना गया हैै।
योजना के तहत, इन क्षेत्रों के 106 गांवों को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां के तमाम लोगों को अलग-अलग तरह का कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक प्रशिक्षण के विषय हैं पशुपालन, मत्स्य पालन, वस्त्र निर्माण, सिलाई, ब्यूटीशियन कोर्स, खाद्य प्रसंस्करण, बागवानी, ऑटो-रिक्शा और ई-रिक्शा ड्राइविंग, मोटर ड्राइविंग और मरम्मत, टीवी, फ्रिज और एसी मरम्मत, नलसाजी, इलेक्ट्रीशियन प्रशिक्षण हैं। चिनाई, बढ़ईगीरी, मोबाइल मरम्मत, बढ़ईगीरी (टैली और जीएसटी गणना), आतिथ्य और पर्यटन, सुरक्षा गार्ड, खुदरा सहयोगी और कई अन्य। दावा किया गया है कि मुक्तिधारा योजना ग्रामीण बंगला के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगी और ग्रामीण विकास के लिए आय उत्पन्न करेगी। पहले चरण में इन 106 गांवों को चुना गया है बाद में राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी विभिन्न गांवों को विकसित किया जाएगा।