रविवार को पश्चिम बंगाल में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की होने वाली रैली रद्द हो गई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस रैली के लिए इजाजत नहीं दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि बिना किसी नोटिस के रैली की इजाजत खारिज कर दी गई है। भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने ममता सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा प्रदेश में 100 से ज्यादा रैली करने वाली है इसी कड़ी में रविवार को योगी बांकुरा और पुरुलिया में दो रैली करने वाले थे। इसके अलावा 5 फरवरी को उनका रायगंज और दिनाजपुर जिले के बालूरघाट में रैली को संबोधित करने का कार्यक्रम है।
मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का असर है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हेलीकॉप्टर लैंडिंग की इजाजत तक नहीं दी। पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता मुकुल रॉय ने कहा कि आखिरकार भाजपा को इजाजत मिलेगी। बालुरघाट में नियमित एयरपोर्ट है। नियमित हेलिपैड पर हेलिकॉप्टर लैंडिंग की इजाजत देने से क्या समस्या होगी? बंगाल सरकार का यह फैसला पूरी तरह अलोकतांत्रिक है।
इससे पहले झारग्राम में भाजपा अध्यक्ष के हेलिकॉप्टर को उतारने की इजाजत नहीं दी गई थी। ये लगातार दूसरी बार था जब अमित शाह के हेलिकॉप्टर को बंगाल में लैंडिंग की इजाजत नहीं मिली थी। इससे पहले मालदा में भी ऐसा ही हुआ था।
शनिवार को प्रधानमंत्री ने राज्य में दो रैलियों को संबोधित किया था। प्रधानमंत्री 8 फरवरी को दार्जिलिंग या जलपाईगुड़ी में रैली को संबोधित करेंगे।
पार्टी को कार्यक्रम का लोकतांत्रिक अधिकार: राज्यपाल
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी का मानना है कि सभी राजनीतिक दलों को अपने कार्यक्रम आयोजित करने का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है। त्रिपाठी की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा भाजपा को राज्य में रथ यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दिए जाने की पृष्ठभूमि में आयी है।
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा पर टिप्पणी करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि हिंसा चाहे राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी हो या आपराधिक, उसकी हमेशा निंदा होनी चाहिए।
त्रिपाठी ने एक साक्षात्कार में कहा कि लोकतंत्र में राजनीतिक कार्यक्रम तो होंगे ही। यह संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों का हिस्सा है, इसलिए सभी दलों को संविधान की मूल भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उसके प्रावधानों का पालन करना चाहिए। राज्यपाल से पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार का राजनीतिक दलों को यात्रा या रैलियां निकालने से रोकना उचित है।
त्रिपाठी ने हालांकि इस पूरे मामले में किसी पार्टी या सरकार का नाम नहीं लिया। लेकिन कभी भाजपा से जुड़े रहे त्रिपाठी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आयी है जब तृणमूल कांग्रेस सरकार ने भाजपा को राज्य में रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी है। भाजपा की यह रथ यात्रा सभी 42 संसदीय क्षेत्रों से गुजरने वाली थी। यात्रा की अनुमति को लेकर दोनों दलों के बीच तनातनी चल रही है।
बंगाल के लोगों से लोकसभा चुनावों के दौरान शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि हिंसा चाहे राजनीतिक हो या आपराधिक उसका हमेशा विरोध और आलोचना होनी चाहिए। पश्चिम बंगाल में साम्प्रदायिक हिंसा की कथित घटनाओं में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि साम्प्रदायिक या अन्य किसी भी कारण से होने वाली हिंसा को लोगों का समर्थन हासिल नहीं होता है।
बसीरहाट दंगों के दौरान उनके और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच हुई कहासुनी के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य का कर्तव्य है कि वह बिना किसी भेदभाव के काम करे और सरकार में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए कानून-व्यवस्था बनाए रखे।
बसीरहाट साम्प्रदायिक तनाव के दौरान मुख्यमंत्री और राज्यपाल में काफी कहासुनी हो गई थी। यहां तक कि बनर्जी ने त्रिपाठी के बारे में कहा था कि वह भाजपा के जिला प्रमुख की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में कभी भी राष्ट्रपति शासन लगाने का विचार मन में आने के संबंध में सवाल करने पर त्रिपाठी ने स्पष्ट कहा कि वह अपने पास उपलब्ध तथ्यों के आधार पर अपने विचार तय करते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे भी वह विचार समुचित प्राधिकार को बताया जाना है। यह गोपनीय होगा।