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पहले नाबालिग की जबरन शादी करवाई, अब अर्थदंड और हुक्का-पानी बंद

phpThumb_generated_thumbnail (23)दस्तक टाइम्स एजेंसी/बाड़मेर

स्थानीय थाने में गूंगा निवासी एक जने ने समाज के 17 जातीय पंचों के खिलाफ नाबालिग लड़की की शादी कराने तथा शादी के बाद ससुराल नहीं भेजने पर हुक्का-पानी बंद करने का मामला न्यायालय के माध्यम से दर्ज करवाया है।पुलिस के अनुसार गूंगा निवासी गेनाराम पुत्र पुरखाराम प्रजापत ने इस्तगासे में बताया कि बस्ताराम पुत्र पेमाराम निवासी सोनड़ी, गुणेशाराम पुत्र चांदाराम निवासी नींबला, अर्जुनराम पुत्र मगाराम निवासी जालीपा, खेताराम पुत्र हीराराम निवासी बिशाला, खुशालाराम पुत्र जोधाराम निवासी मौखाब, पर्बताराम पुत्र चौथाराम निवासी नींबला, पर्बताराम पुत्र चौथाराम निवासी बोथिया, जेताराम पुत्र विरधाराम निवासी सरली, लीलाराम पुत्र पेमाराम निवासी सोनड़ी, काछबाराम पुत्र जोधाराम निवासी नींबला, भैराराम पुत्र मालाराम निवासी भाडखा, रावताराम पुत्र कुटलाराम निवासी भाडखा, बींजाराम पुत्र लछाराम निवासी कवास, पुरखाराम पुत्र दुर्गाराम निवासी पुषड, लूणाराम पुत्र धन्नाराम निवासी नींबला, जोगाराम पुत्र गोपालाराम निवासी सोनड़ी व भीखाराम पुत्र बन्नाराम ने मिलकर उसकी 15 वर्षीय नाबालिग पुत्री चम्पा की 10 अप्रेल 2015 को सोनड़ी निवासी बस्ताराम (35 वर्ष) पुत्र पेमाराम के साथ जबरन सगाई करवाई।

तब गेनाराम ने मना किया कि मेरी पुत्री अभी नाबालिग है, मैं इसकी शादी अभी नहीं क र पाऊं गा। दूसरे दिन 11 अप्रेल को इन पंचों ने एकराय होकर जबरदस्ती उसकी नाबालिग पुत्री की शादी करवा दी। शादी के बाद गेनाराम ने पुत्री को ससुराल भेजने से मना किया, फिर भी जबरदस्ती 12 अप्रेल को नाबालिग लड़की को वे बस्ताराम के घर सोनड़ी ले गए।

कुछ दिन बाद वह जैसे-तैसे कर बेटी को घर लाया। इसके बाद बेटी को बालिग होने से पूर्व ससुराल भेजने से इनकार करने पर 13 जनवरी 2016 को सभी जातीय पंच एकराय होकर उसकी ढाणी आए तथा दबाव डाला कि तुम चम्पा को ससुराल भेजने में आनाकानी नहीं करोगे। इस वाकये की सूचना उसने पुलिस को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इसके बाद 30 जनवरी को सभी पंचों ने उससे कहा कि समाज की बात नहीं मान रहे हो, इसलिए आपको समाज से बाहर किया जाता है। तुम समाज की जाजम से नीचे चले जाओ तथा 25 लाख रुपए दण्ड के रूप में तुम्हें देने पडेंग़े।

उसने आरोप लगाया है कि जातीय पंचों ने उसे डरा-धमकाकर उसकी नाबालिग पुत्री का विवाह करवाया। अब नाबालिग को ससुराल भेजने का मना करने पर समाज से भी बहिष्कृत कर दिया।

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