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पहले मां को डिप्टी कलेक्टर बनने में की मदद, अब खुद हुआ चयनित


रायपुर : छत्तीसगढ़ में महासमुंद जनपद पंचायत की सीईओ आभा दिवाकर तिवारी 2014 पीएससी की टॉपर रहीं और चार साल में बेटे ने पीएससी टॉपर में स्थान अर्जित किया। मंगलवार का दिन तिवारी परिवार एवं इनसे जुड़े महासमुंद एवं अमोरा जांजगीर के लोगों के लिए खुशी का दिन रहा। आभा दिवाकर तिवारी के पुत्र सिद्धांत ने छग लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित परिणाम में मेरिट में सातवां स्थान हासिल कर महासमुंद एवं जाजंगीर को गौरवान्वित किया। अमोरा जांजगीर इनका मूल घर है। सिद्धांत ने मां के साथ महासमुंद में रहकर पढ़ाई की और इस उल्लेखनीय सफलता से मान बढ़ाया। परिणाम की घोषणा के साथ ही आभा तिवारी के शासकीय आवास में बधाई देने लोगों की भीड़ रही। वहीं मोबाइल, सोशल मीडिया पर बधाई संदेश मिलते रहे। सिद्धांत तिवारी ने यह उपलब्धि महज 25 वर्ष की उम्र में पहले ही प्रयास में हासिल की है। यूपीएससी और पीएससी की परीक्षा दिला रहे लोगों का पहला उद्देश्य होता है कि वे प्रशासनिक सेवा में जाएं, आइएएस बनें, डिप्टी कलेक्टर बनें, लेकिन यहां सिद्धांत का सिद्धांत अलग है। सिद्धांत को खाकी व सेना की सेवा में जाने का लगाव है। उन्होंने साक्षात्कार से पूर्व पूछे गए प्राथमिकता में डीएसपी पद को पहले महत्व दिया है। दूसरा महत्व डिप्टी कलेक्टर पद को। इस लिहाजा से टॉपर सिद्धांत का डीएसपी बनना तय है। साल 2016 में हिदायतउल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी पास करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली में कोचिंग ली। फिर मां आभा तिवारी ने समझाया कि यूपीएससी के साथ-साथ पीएससी भी दिलाते रहो। लिहाजा पहली बार पीएससी की परीक्षा में शामिल हुआ और आशातीत परिणाम सबके सामने आया। सिद्धांत ने बताया कि यह उनका पहला पड़ाव है। वे यूपीएससी की तैयारी जारी रखेंगे। अब उनका अगला ध्येय भारतीय पुलिस सेवा में चयनित होना है। महासमुंद जनपद पंचायत की सीइओ आभा तिवारी पीएससी 2014 की टॉपर रहीं हैं। उन्होंने तीन प्रयास में यह सफलता अर्जित की। तब परीक्षा की तैयारी में सिद्धांत अपनी मां की मदद करता था। मां कहीं उलझन में होती तो बेटे से मदद लेती। 2014 में सुखद परिणाम आया। मां डिप्टी कलेक्टर बनकर कोरबा में पदस्थ हुईं। इस बार मां ने लोक संस्कृति, छत्तीसगढ़ी और हिंदी जैसे विषयों पर तैयारी में बेटे की मदद की। अध्ययनशील सिद्धांत महासमुंद में मां के साथ शासकीय आवास में रहते हुए बगैर किसी कोचिंग का सहयोग लिए तैयारी किया। सिद्धांत के पिता दिवाकर तिवारी एक्साइज एडीइओ पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले चुके हैं। उन्होंने भी बेटे की तैयारी में भरपूर मदद की।

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