अद्धयात्म

पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी की नजर में ऐसे भीम बन गए सबसे अच्छे पति

महाभारत में पांच पांडवों और द्रौपदी के विवाह की बेहद दिलचस्प कहानी सुनने को मिलती है. बताया जाता है कि द्रुपद नरेश ने अपनी बेटी द्रोपदी के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था जिसमें धनुषकला की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. इस प्रतियोगिता में मछली को बिना देखे उसकी आंख को बाण से भेदना था. वनवास काट रहे पांडव भी इस स्वयंवर में हिस्सा लेने पहुंचे. इस स्वयंवर में उपस्थित सभी राजा मछली की आंख में निशाना लगाने में असफल रहे तब श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने धनुष उठाया और मछली की आंख पर निशाना लगाकर इस स्वयंवर के विजेता बन गए.पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी की नजर में ऐसे भीम बन गए सबसे अच्छे पति

जब पांचो पांडव द्रोपदी को लेकर माता कुंती के पास पहुंचे तो मां ने बिना देखे ही कह दिया कि जो भी लाए हो उसे पांचों भाई आपस में बांट लो. इस बात को सुनकर सभी पांडव दुखी हुए लेकिन श्रीकृष्ण के कहने पर पांचों पांडवों ने द्रोपदी से विवाह कर लिया. लेकिन इन पांचो पांडवों में द्रोपदी की नजर में भीम कैसे बन गए सबसे अच्छे पति, चलिए इस गाथा से हम आपको रूबरू कराते हैं.

द्रोपदी को सबसे अधिक प्रेम करते थे भीम

पांचों पांडवों से विवाह करने के बाद सभी भाईयों को द्रोपदी के साथ बराबर समय व्यतीत करने को मिले इसके लिए एक नियम बनाया गया था. इस नियम के अनुसार एक समय में पांचों भाईयों में से सिर्फ एक ही भाई द्रोपदी के साथ समय व्यतीत करेगा. अगर द्रोपदी के महल के बाहर किसी भाई के जूते दिखे तो बाकी भाईयों में से कोई अंदर नहीं जाएगा. कहा जाता है कि पांच पतियों में से भीम ही एक ऐसे पति थे जो द्रोपदी से सबसे अधिक स्नेह करते थे. भीम ने अपने पति धर्म का पालन करते हुए हर कदम पर द्रोपदी का मान बचाया.

भीम ने हर कदम पर दिया द्रोपदी का साथ

जब दुशासन ने भरी सभा में द्रोपदी का अपमान किया तो पांचों पांडवों में से भीम ही ऐसे थे जो युधिष्ठिर के रोकने पर भी अपने गुस्से को नहीं रोक पाए और भरी सभा में दुशासन के छाती के लहू को पीने और उससे द्रोपदी के केश धुलवाने की प्रतिज्ञा की. इसके अलावा अज्ञातवास के दौरान जब राजा विराट के साले कीचक ने द्रोपदी के ऊपर बुरी नजर डाली तो भीम ने ही कीचक को मार गिराया था.

इतना ही नहीं जब पांडव अपना राजपाट परीक्षित को सौंप कर सह शरीर स्वर्ग जाने के लिए निकले तब भी भीम ने कदम-कदम पर द्रोपदी की सहायता की. इस दौरान जब द्रोपदी सरस्वती नदी को पार करने में असमर्थ थीं तब भीम ने एक चट्टान को उठाकर नदी के बीच में रख दिया जिसे आज भीम पुल के नाम से जाना जाता है.

गौरतलब है कि पति धर्म का अच्छे से पालन करनेवाले भीम की अपने लिए समर्पण भावना देखकर द्रोपदी ने अपने आखिरी समय में कहा था कि भीम ही उनके असली पति हैं और अगले जन्म में वो भीम को ही अपने पति के रुप में पाना चाहेंगी.

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