पांच बैंकों के विलय से दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में एसबीआई शामिल, संसद में बिल ध्वनिमत से पारित
नई दिल्ली : स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) में पांच अन्य बैंकों के विलय को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है, इस मर्जर के साथ ही अब एसबीआई सम्पत्ति के हिसाब से दुनिया की टॉप 50 बैंकों में शामिल हो गया है, बैंक का अब टोटल कस्टमर बेस 37 करोड़ हो गया है। गौरतलब है कि राज्यसभा से भी विधेयक को मंजूरी मिलने से अब एसबीआई में स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर, स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद पूरी तरीक़े से शामिल हो जाएंगे। सरकार का तर्क है कि इस विलय से इन बैंकों की लागत में न सिर्फ कमी आयेगी, बल्कि संसाधनों के उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा, देश में एसबीआई की ब्रांच नेटवर्क 24 हजार से ज्यादा है। बैंक के एटीएम की संख्या 60 हजार के करीब है।
एसबीआई में मर्जर से संबंधित विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने पेश किया था, इस पर लंबी बहस हुई थी, हालांकि मर्जर से पहले आशंका जताई जा रही थी कि इससे छंटनी होगी, लेकिन मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि विलय के बाद किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की गई है। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है, अब इस विधेयक में इस विलय को पूर्व प्रभाव से मंजूरी दी गयी है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश सहित कुछ सदस्यों ने एसबीआई के निजीकरण को लेकर आशंका भी जताई थी, कई सदस्यों ने बैंकों के नियमन एवं निगरानी प्रणाली को दुरूस्त बनाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में एसबीआई को हुए घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि एसबीआई भारत का पांचवां सबसे बड़ा नियोक्ता है जो वर्तमान में 2 लाख 70 हजार लोगों को नौकरी दे रहा है, उन्होंने कहा कि विलय के बाद कर्मचारियों की छंटनी नहीं होनी चाहिए, उन्होंने सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि क्या एसबीआई का निजीकरण करना और सरकारी बैंकों का गैर राजनीतिकरण करना उसके एजेंडे में है?