पांच सौ साल पुराने इस शिव मंदिर में पूरी होती है हर मुराद
किलोई गांव स्थिति प्राचीन शिव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मुराद मांगता है, उसे भोले बाबा जरुर पूरी करते हैं। यही कारण है कि रोहतक जिले के अलावा दूर दराज से हजारों श्रद्धालू यहां जलाभिषेक के लिए आते हैं।
शिवरात्रि पर यहां पूजा का विशेष महत्व और विशाल मेला लगता है। करीब पांच सौ साल पहले किलोई गांव में एक किसान को जुताई करते वक्त जमीन में शिव लिंग दिखाई दिया। जहां एक बनिया परिवार ने संतान की मुराद मांग कर मंदिर का निर्माण करने का संकल्प लिया। बताते हैं कि एक साल बाद बनिया के यहां पुत्र का जन्म हुआ। इसके बाद उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण कराया और यह सूचना आसपास के गांव में फैल गई।
तभी से किलोई मंदिर में हजारों श्रद्धालू दर्शन और मन्नत के लिए आते हैं। किलोई शिव मंदिर की एक खास बात यह भी है कि यहां शिव लिंग का पत्थर चिकना नहीं है। यहां शिव लिंग का पत्थर खुर्दरा और चपटा है। ग्रामीण बनवारी, रामकंवर, हवाङ्क्षसह, प्रताप सिंह आदि का कहना है कि मंदिर में किलोई तथा आसपास के जिस भी ग्रामीण ने जो मन्नत मांगी है, वह जरुर पूरी हुई है।
यही कारण यह है कि यह मंदिर लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। किलोई गांव से बाहर जाकर रहने वाले परिवार भी हर शिवरात्रि या परिवार में पुण्य कार्य के लिए मंदिर में सबसे पहले पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। एक मान्यता यह भी है कि जो 16 सोमवार तक व्रत करके यहां रुद्राभिषेक कराता है, भगवान उसके मन की मुराद अंतिम सोमवार तक पूरी कर देते हैं।
किलोई में हर साल दोनों शिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है। इनमें हरिद्वार से कांवड लेकर आए हजारों कांवडिये भगवान रुद्र का गंगाजल से अभिषेक करते हैं और लंगर का आनंद लेते हैं। इसके अलावा हर सोमवार को किलोई मंदिर में मेला लगता है। जिसमें आस-पडोस के गांव के लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। कहा जाता है कि किलोई मंदिर में भगवान शिव स्वयं वास करते हैं।