अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान आतंकियों को दे रहा है अमेरिकी M16 राइफल

सरहद पार बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई बौखला गई है. इसी की नतीजा है कि अब पाक आर्मी ने कश्मीर घाटी में आतंकियों को अमेरिकन M16 स्नाइपर राइफल इस्तेमाल करने के लिए दे दी हैं. भारतीय सुरक्षा बलों ने एक बड़े ऑपरेशन के दौरान बड़गांव में मारे गए दो जैश आतंकियों के पास से ऐसी ही M16 स्नाइपर राइफल बरामद की है.

यह राइफल अमेरिकी सेना प्रयोग करती है. अमेरिकन सेना ने ये राइफल पाकिस्तान की आर्मी को दे रखी हैं, लेकिन पाकिस्तान की आर्मी भारत से बदला लेने को इतनी आतुर है कि उसने कश्मीर घाटी में आतंकवादियों को भारी संख्या में M16 राइफल देना शुरू कर दिया है.

बात दें कि इससे पहले 2017 में पुलवामा में मसूद अजहर के भांजे अबू तल्हा रशीद के पास से अमेरिकन स्नाइपर गन M4 बरामद की गई थी. M4 रायफ़ल का इस्तेमाल अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ करती आई है.

क्या है M16 राइफल

1957 में बनी अमेरिका की एम16 राइफल कभी अमेरिकी सेना का मुख्य हथियार हुआ करती थी. आज भले ही नई तकनीक वाली बंदूकें आ चुकी हैं. कहते हैं कि इसे अमेरिका ने रूस की एके-47 को टक्कर देने के लिए बनाया था. एक अनलोडेड एम-16 का वजन 3.26 किलो होता है. इसमें एक बार गोलियां भर दी जाएं तो यह वजन 4 किलो हो जाता है. इसकी मारक क्षमता भी काफी अच्छी है. करीब आधा किलोमीटर दूर तक के टारगेट पर यह सीधा निशाना लगा सकती है. इसका फायरिंग एरिया 800 मीटर तक जा सकता है.

वियतनाम और अफगानिस्तान की जंग में अमेरिकी सेना ने इनका भरपूर इस्तेमाल किया. अगर इस राइफल से निरंतर गोलियां चलाई जाएं, तो यह एक मिनट में करीब 700 से 900 राउंड फायर कर सकती है. यह सालों से अमेरिकी सेना से जुडी है. कई मौकों पर यह सेना की ताकत बनकर सामने आई है. पर अब अमेरिका की इस रायफ़ल को पाकिस्तान अवैध तरीके से कश्मीर घाटी में अपनी मंशा को अंजाम देने के लिए आतंकियो को दे रहा है.

इसी के बल पर आतंकी सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं. लेकिन पाकिस्तान को यह पता नहीं है कि वो चाहे जितनी भी कोशिश कर ले. पुलवामा हमले का बदला भारत ने ले लिया है. उनको शायद ये पता नही है कि उनके भेजे गए 62 से ज्यादा आतंकी अकेले इस साल जहन्नुम जा चुके हैं.

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