पाकिस्तान को यूं घुटनों के बल ला सकता है भारत
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मल्टीमीडिया डेस्क। ‘यह बात तब की है जब पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश अलग नहीं हुआ था। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। पड़ोसी मुल्क की हरकतों से भारत परेशान था। सैन्य कार्रवाई करना चाहता था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का दबाव था। इंदिरा ने सोवियत संघ से कहा, हम तो बांग्लादेश को अलग करने के लिए कार्रवाई करने जा रहे हैं। आप साथ दें तो ठीक है, नहीं देंगे तो भी ठीक है। इंदिरा आगे बढ़ीं और बांग्लादेश अलग हो गया।’
उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे ही रुख की अपेक्षा की जा रही है। 17 जवानों के शहीद होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि भारत के पास पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने के क्या विकल्प हैं? क्या सीधी सैन्य कार्रवाई से ही बात बनेंगी या कुछ और भी किया जा सकता है? एक नजर इसी से जुड़े अहम पहलुओं पर –
दुनियाभर में बदनाम कर दो ऐसे पड़ोसी को
-भारत को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर चोट करना होगी। आर्थिक प्रतिबंध लगेंगे तो सीधा आम जनता तक असर होगा। इसमें चीन और अमेरिका अहम भूमिका निभा सकते हैं।
-सब जानते हैं चीन, पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। चीन को सिवाय अपनी आर्थिक ताकत बढ़ाने के, किसी दूसरी बात से मतलब नहीं। भारत को कुछ भी करके चीन-पाक कॉरिडोर को ध्वस्त करना होगा। इसके लिए चीन से बात की जा सकती है।
-पाकिस्तानियों के लिए यह कॉरिडोर बहुत अहम है। इसके जरिए चीन 46 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में निवेश करने जा रहा है। पाकिस्तान का मानना है कि इससे वे विकासशील राष्ट्रों की गिनती में आ पाएंगे। भारत को इस मंसूबे को ध्वस्त करने की रणनीति अपनाना होगी।
-परमाणु सम्पन्न होने के कारण दोनों देशों के बीच सीधी लड़ाई नहीं हो सकती, लेकिन भारत सीमा के उस पार फलफूूल रहे आतंकी कैंपों को निशाना जरूर बना सकता है। ब्रह्मोस की ताकत दुश्मन को दिखाई जा सकती है और चेतावनी भी दी जा सकती है। (विस्तार से जानिए क्यों हैं सैन्य कार्रवाई का विकल्प सीमित)
-अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार में विदेश नीति पर भी खूब बात हो रही है। अगर वहां उत्तर कोरिया का मुद्दा उठ सकता है तो पाकिस्तान का क्यों नहीं? क्या एनआरआई के बगैर हिलेरी क्लिंटन या डोनाल्ड ट्रम्प जीत हासिल कर सकते हैं? ये लोग कितना भारी-भरकम चंदा दे रहे हैं दोनों पार्टियों को? मोदी सरकार को एनआरआई की ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए।
-पाकिस्तान में इसी साल सार्क शिखर वार्ता होनी है। भारत को अन्य सदस्य देशों पर दबाव डालना चाहिए कि वे पाकिस्तान का बहिष्कार करें।
-संयुक्त राष्ट्र् से ज्यादा उम्मीद नहीं है, लेकिन भारत को सवाल उठाना चाहिए कि जिस तरह सोमालिया और सूडान पर हथियार खरीदने का प्रतिबंध लगाया जा सकता है, तो पाकिस्तान पर क्यों नहीं?
-भारत के पास आईटी का पॉवर है। क्यों न ट्विटर और अन्य सोशलमीडिया के माध्यम से पाकिस्तान की हकीकत दुनिया के सामने लाई जाए।