अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान को लगा एक और झटका, मदद देना बंद करेगा ऑस्ट्रेलिया…

विकसित देशों की फंडिंग पर टिकी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को एक और झटका ऑस्ट्रेलिया से लगा है। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली अरबों यूएस डॉलर की मदद रोकने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी उसे द्विपक्षीय मदद रोकने की योजना बनाई है। फंडिंग रोकने का कारण कश्मीर पर भारत-पाक तनाव और पाकिस्तान में आतंक व अस्थिरता को बताया गया है। यानी जल्द ही पाक को ऑस्ट्रेलिया से मिलने वाली 1.9 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (एक अरब 99 करोड़ 68 लाख 80 हजार पाकिस्तानी रुपये) की मदद रुकने वाली है। ऑस्ट्रेलिया के विदेश और व्यापार मंत्रालय ने इस आशय की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान को अब तक यह मदद वहां की गरीब महिलाओं और लड़कियों की मदद के लिए दी जाती थी लेकिन यह रकम पाक को बंद करके प्रशांत महासागर की नई प्रतिबद्धताओं के लिए रि-डायरेक्ट की जाएगी।

रिपोर्ट में पाकिस्तान के सुरक्षा हालात अस्थिर और विस्फोटक बताते हुए कहा गया है कि फरवरी 2019 में सैन्य आदान-प्रदान में कश्मीर पर भारत-पाक तनाव अधिक था। इसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं जहां कई ऑस्ट्रेलियाई वित्त पोषित सहायता कार्यक्रम संचालित होते हैं।

2021 तक पूरी फंडिंग खत्म हो जाएगी
पाकिस्तान पर ‘सहायता कार्यक्रम प्रदर्शन रिपोर्ट 2018-19’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान द्विपक्षीय सहायता कार्यक्रम 2019-20 में 1.9 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक कम हो जाएगा और 2020-21 के दौरान पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। हालांकि ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड छात्रवृत्ति के वैश्विक व क्षेत्रीय कार्यक्रमों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।

एफएटीएफ की काली सूची से बचे पाक
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फरवरी 2018 में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाला गया। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि पाकिस्तान को अक्तूबर 2019 में संभावित रूप से काली सूची से बचने के लिए अपनी कार्ययोजना पर प्रगति दिखाने की जरूरत है।

इन मुद्दों पर जारी रहेगी मदद
ऑस्ट्रेलिया के विदेश और व्यापार मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ‘हम उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे जहां ऑस्ट्रेलिया की तकनीकी विशेषज्ञता और नीतिगत अनुभव पाकिस्तान के दीर्घकालिक विकास के लिए काम आ सके। इसमें लैंगिक समानता, जल संसाधन प्रबंधन और मानवीय मुद्दों में सहायता शामिल है।’

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