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पाकिस्तान थाने में दर्ज है दो आतंकियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट

pathankot-attack_1458227128एजेन्सी/ हाल ही में पठानकोट हमले की जांच करने भारत आई पाकिस्तान जेआईटी (ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम) की तरफ से दिए गए बयान में वह खुद उलझती नजर आ रही है। पाक जेआईटी ने कहा था कि पठानकोट हमले में शामिल चारों आतंकियों में से किसी के भी पाकिस्तान से जुड़े होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक पाक जेआईटी ने खुद ही एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) को इस बात की पुष्टि की थी कि पठानकोट हमले में मारे गए आतंकियों में से दो के माता-पिता ने पाकिस्तान में उनके गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जेआईटी ने बताया था कि यह रिपोर्ट पठानकोट हमले से काफी पहले दर्ज कराई गई थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया को इसकी पुष्टि सरकारी सूत्रों द्वारा की गई है। सूत्रों ने बताया कि जेआईटी के अनुसार पाकिस्तान पुलिस स्टेशन में जो आतंकियों के माता पिता ने उनके लापता होने की रिपोर्ट लिखवाई है। लापता होने से पहले आतंकियों ने अपने घरवालों को कुछ नहीं बताया था, जिसके चलते घरवालों ने लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई।

पठानकोट हमले को अंजाम देने वाले चारों आतंकी जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ गए थे। वहां उन्होंने मौलाना समूद अजहर और अब्दुल रॉफ के इशारे पर पठानकोट सुसाइड मिशन को अंजाम दिया।

एनआईए ने इन चारों आतंकियों की पहचान नासिर हुसैन, हाफिज अबु बकर, उमर फारुख और अब्दुल कय्यम के रुप में की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार ये सभी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत के रहने वाले थे।

जेआईटी ने यह भी बताया था कि लाहौर के काउंटर टेरेरिज्म डिपार्टमेंट ने जैश-ए-मोहम्मद सु जुड़े 3 लोगों खालिद महमूद, इरशाब्दुल हक और मुहम्मद शोएब को गिरफ्तार किया था। सरकारी अधिकारियों ने यह संभावना जताई है कि ये लोग भी पठानकोट हमले के लिए तैयार किए गए थे, लेकिन सीमा पर सारी चीजें मुहैया कराने के बाद इन लोगों ने इस मिशन पर जाने से इनकार कर दिया। 

पांच दिन की छानबीन के दौरान एनआईए ने जेआईटी को पठानकोट हमले से जुड़े ठोस सबूत सौंपे। इसके साथ ही मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई अब्दुल रॉफ समेत कई लोगों को गिरफ्तार करने की मांग भी की। सबूतों में कॉल रिकॉर्ड, फॉरेंसिक के सबूत, डीएनए सैंपल और एफआईआर की कॉपी भी थी।

आपको बता दें कि पाक जेआईटी उन सभी भारतीय सेना के कमांडो, एयरफोर्स और नेशनल सिक्योरिटी गार्डों से पूछताछ करना चाहती थी, जिन्होंने पठानकोट हमले में आतंकियों को मार गिराया था। हालांकि, इसके लिए भारतीय अधिकारियों ने अपनी सहमति नहीं दी। एनआईए ने जेआईटी को पंजाब के मुर्दाघर में मौजूद चारों आतंकियों के शव देखने को भी कहा, लेकिन जेआईटी शव देखने से मना कर दिया।

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