फैसल ने कहा कि जाधव को उसके परिजनों से मिलाने के लिए 25 दिसंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की जयंती है. उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं ने जाधव के साथ “खुले तौर पर और उपयोगी बातचीत” की. यह मानवीय आधार पर सकारात्मक पहल थी. हमने जाधव के परिवार के कहने पर मुलाकात के समय में 10 मिनट की बढ़ोतरी की. इसका कानून से कुछ संबंध नहीं है.
प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से भारतीय उप उच्चायुक्त जे. पी. सिंह की मुलाकात के दौरान मौजूदगी के बावजूद इंकार किया कि यह राजनयिक पहुंच थी. सिंह दूर से इस मुलकात का गवाह बने.उन्होंने कहा, “भारतीय राजनयिक मुलाकात देख सकते थे लेकिन उन्हें मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी. जब भारतीय राजनयिक जाधव से बातचीत करते, तो यह राजनयिक पहुंच होती.” उन्होंने साथ ही कहा कि राजनयिक पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए भारत ने आग्रह किया है और ‘सही समय आने पर इसपर विचार किया जाएगा’.
फैसल ने कहा कि इस मुलाकात का यह मतलब नहीं है कि जाधव को लेकर पाकिस्तान के पक्ष में कोई बदलाव आया है. उन्होंने जाधव को ‘एक जासूस और आतंकवादी बताया जिसे मौत की सजा मिली हुई है.’ उन्होंने कहा, “जाधव पाकिस्तान में भारतीय आतंकवाद का चेहरा है. उन्होंने असलम चौधरी की हत्या के जुर्म को कबूला है.
उन्होंने पाकिस्तानी लोगों की हत्या पर अफसोस जताया है. वह नौसेना का एक अधिकारी था और रॉ एजेंट होने की बात स्वीकारी है.” भारत हमेशा से पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करता रहा है और कहा है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया जहां वह निजी व्यापारिक दौरे पर था और वहां से उसे पाकिस्तान लाया गया. इससे पहले, जाधव की मां और पत्नी सोमवार दोपहर दुबई के रास्ते इस्लामाबाद पहुंची थी.