पाकिस्तान में बद से बदतर हो रहे हालात, हिंदुओं के लिए दोजख बना….
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से आ रही खबरों ने पूरी दुनिया को बेचैन कर दिया है, इस बेचैनी की वजह है वहां रहने वाले हिंदुओं से दोयम दर्जे का व्यवहार और उन पर रोज बढ़ते जुल्म। इस जुल्मोसितम की तस्दीक और कोई नहीं पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन ही कर रहे हैं। यहां तक की मानवाधिकार आयोग ने भी पाक सरकार से पाकिस्तानी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के मामले में उचित कार्यवाही के लिए कहा है। जानिए किन हालात में रह रहे हैं पाक में रहने वाले हिंदू। पाकिस्तान की कुल 17 करोड़ आबादी में से हिंदुओं की आबादी मात्र 2.7 लाख के करीब है, जो आजादी के समय कभी दस फीसदी से ज्यादा हुआ करती थी। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने कुछ दिन पहले जारी अपनी रिपोर्ट में अल्पसंख्यक आबादी छह फीसदी बताई है, हालांकि इसमें हिंदुओं के साथ बौद्ध, इसाई और पारसी भी शामिल हैं।
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पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू सिंध प्रांत में रहते हैं। जनसंख्या के हिसाब से हिंदू सिंध प्रांत के थापरकर जिले के मीठी कस्बे में सबसे ज्यादा हैं जहां 70 फीसदी तक हिंदू रहते हैं।
हाल ही में डॉन अखबार ने भी माना कि पाक के सिंध में प्रांत में हिंदुओं की ज्यादा आबादी है जहां सबसे ज्यादा हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाता रहा है। लेकिन इसमें भी ज्यादातर अत्याचार हिंदू लड़कियों पर किया जा रहा है जिन्हें जबरन धर्म बदलने के लिए घसीटा जाता है। इनमें से नीची जाति की हिंदू लड़कियों को अधिक परेशान किया जाता रहा है जबकि उच्च जाति की हिंदू लड़कियों को फिरौती के लिए अगवा कर लिया जाता है।
आंदोलन संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, पाक के सिंध प्रांत में हर साल तकरीबन एक हजार हिंदू लड़कियों को इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया जाता है। धर्म परिवर्तन का ये अनुपात 20 फीसदी के करीब है लेकिन लड़कियों के मामले में ये इससे भी ज्यादा है।
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पाकिस्तान के कई मुस्लिम संगठन हिंदू समुदाय के गाय की पूजा करने को भी नफरत भरी नजरों से देखते हैं और उन पर अपमानजनक टिप्पणियां भी करते हैं। पाक सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार कठोर शरिया कानून के चलते हर साल पांच हजार हिंदू परिवार को पाक से मजबूरन पलायन करना पड़ता है।
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की सबसे बड़ी चिंता अपनी बेटियों और जमीन को सुरक्षित रखने की है। घर की लड़कियों की तरह वहां हिंदुओं की जमीन जायदाद भी सुरक्षित नहीं है, जिस पर अक्सर बहुसंख्यक आबादी के लोग कब्जा कर लेते हैं। मंदिरों को गिराने और जलाने की घटनाएं वहां आम हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2000 से लेकर 2015 तक पाकिस्तान में एक हजार से ज्यादा मंदिरों पर अवैध कब्जा किया जा चुका है।