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पाकिस्तान में मिली निहाल हामिद अंसारी को मां, जिसने लड़ी बहुत लड़ाई

कहानी पूरी फिल्मी नहीं तो फिल्म से कम भी नहीं। कहानी है पाकिस्तान की जेल में छह साल बंद रहने के बाद स्वदेश लौटे हामिद निहाल अंसारी की। हामिद की मंगलवार को वापसी हुई। हामिद ने कहा कि वतन वापसी के बाद से काफी उत्साहित हैं और इमोशनल भी हो रहे हैं। बुधवार सुबह निहाल हामिद अंसारी विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से मिलने पहुंचे। सुषमा से उनकी मुलाकात ठीक वैसी ही रही जैसे वह वर्षों बाद अपनी मां से मिले। उन्होंने एक दूसरे को देखते ही गले लगा लिया। कुछ ऐसा ही नजारा कल बाघा बॉर्डर पर भी दिखा था जब मां फौजिया उन्हें देखते ही भावुक हो गईं और गले लगा लिया था। निहाल के स्वागत में उनकी मां और बाबा बाघा बॉर्डर पर पहुंचे थे। मां बेटे निहाल के लिए चॉकलेट लेकर पहुंची क्योंकि उन्हें चॉकलेट बहुत पसंद है।

पाकिस्तान में मिली निहाल हामिद अंसारी को मां, जिसने लड़ी बहुत लड़ाई फेसबुक पर इश्क चढ़ा था परवान
सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर हुए इश्क में पागल हामिद 2012 में पाकिस्तान पहुंच गए थे, जहां उन्हें भारतीय जासूस और बिना दस्तावेज के पाए जाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन हामिद को उस समय झटका लगा जब वह जेल में भी पहुंच गए और वह जिनकी तलाश में सरहद पार गए थे वह भी नहीं मिलीं।
वैसे हामिद की रिहाई इतनी आसान भी नहीं थी। इन छह सालों में हामिद को जहां जेल में एक-एक दिन काटना मुश्किल था वहीं उनकी रिहाई के लिए पाकिस्तान में कई हाथ साथ हुए। उनमें से ही एक थी रख्शंदा नाज।

वैसे तो भारत वापसी में हामिद की कई लोगों ने मदद की लेकिन इन लोगों में पाकिस्तान की मानवाधिकारों की वकील रख्शंदा नाज ने ठीक वैसे ही उनका ख्याल रखा जैसे एक मां रखती है। उनके खाने-पीने से लेकर उनसे हर हफ्ते जेल में मिलने जाने तक रख्शंदा ने लगातार हामिद का ख्याल रखा।  हामिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही रख्शंदा बताती हैं कि वो हामिद के लिए जेल में जो सामान ले जाती थीं, उससे वो उनके लिए खीर बनाकर रखते थे।

17 दिसंबर 2018 को खबर आई की हामिद को जेल से रिहा किया जा रहा है। जेल में हामिद के जाने की तैयारी हो रही थी, इसी बीच वह हामिद से मिलने वहां आखिरी बार पहुंची। वह बताती हैं कि हामिद के बारे रीता मनचंदा से पता चला था जो भारत में एक समाजसेवी हैं। हालांकि पाकिस्तानी पत्रकार और समाजसेवी जीनत शहजादी ने इस केस के लिए कोर्ट में अपील की थी। हामिद की कस्टडी की सारी जानकारी उन्होंने ही जुटाई थी।

रख्शंदा ने इस केस पर बहुत मेहनत की
रख्शंदा बताती हैं कि मैं तीन साल से पाकिस्तान में नहीं थी, जब मैं आई तो जीनत शहजादी पाकिस्तान में मिली नहीं बाद में वो दो साल बाद मिल गई और अब अपने घर वालों के साथ रह रही हैं।
जीनत के बाद से ही मैं हामिद के साथ संपर्क में हूं। हामिद को पेशावर जेल में पहली बार पेश किया गया और बताया गया कि उन्हें जासूसी के मामले में सजा मिली है। कई दिनों से बेटा गायब था,  परिवार ने मान लिया था कि वह उसे खो चुके हैं लेकिन जब उनके परिवार से बात हुई और उनकी मां को तब विश्वास हुआ कि उनका बेटा जिंदा है।

प्यार इश्क का कोई यह पहला मामला नहीं था। मैंने जब ये केस देखा तो मुझे ये मामला सच्चा लगा। ये मामला सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ था और मेरी बात हामिद के परिवार से भी हुई थी ये केस सीनियर एडवोकेट काजी मोहम्मद अनवर भी देख रहे थे और उन्होंने जिस तरह इस केस पर काम किया, उसकी वजह से ही यह कामयाबी मिली है।

रख्शंदा ने इस केस के लिए काफी मेहनत की है। वह बताती हैं कि उन्होंने केस के कागज हामिद की अम्मी फौजिया अंसारी और रीता मनचंदा से मंगाए। हालांकि केस तो पहले ही फाइल हो ही चुका था लेकिन मैं भी इस कैसे में वैसे ही काम करना चाहती थी जैसे बाकी लोग कर रहे थे। बस मैंने इस पूरे मामले को अपना माना और हामिद को वापिस भेजना अपना उद्देश्य बना लिया।  इस कामयाबी का पहले श्रेय पत्रकार जीनत को जाता है, जिसने इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग की और इस केस की सारी जानकारी जुटाई। इसके बिना हामिद के बारे में किसी को नहीं पता चलता।

उस लड़की की हो चुकी है शादी
हामिद खाली हाथ ही भारत लौटे हैं।  जिस लड़की की तलाश में पाकिस्तान आए थे, वो लड़की खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहाट की रहने वाली है और अब उसी शादी हो चुकी है। जब हामिद जेल में थे तब जीनत खुद उससे मिलने पहुंची थीं जीनत उनके पिचा और दोस्तों से भी मिली थीं।

rakhshanda naz

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रख्शंदा अंदर तक जुड़ चुकी हैं हामिद से

वैसे तो रख्शंदा ने अपने जीवन में कई केस लड़े हैं लेकिन यह मामला थोड़ा अलग था। पूरी कहानी सुनाते हुए उनकी आंखे कई बार नम हो जाती हैं। वह कहती हैं कि मुझे याद है कि जब मैं हामिद से मिली तो उसे विश्वास ही नहीं था कि वो यहां से कभी छूट पाएगा। मैंने उसे विश्वास दिलाया और कहा कि अब दिन गिनना शुरू कर दो।

रख्शंदा हामिद से जुड़ा हुआ महसूस करती थीं तो वह जब भी उससे मिलने जेल जातीं तो उसके लिए कुछ न कुछ खाने को ले जाती थीं। लेकिन उन समानों से हामिद उनके लिए कई यादगार चीजें उपहार स्वरूप दीं। हामिद शाकाहारी है और वह खीर बहुत अच्छी बनाता है। वह मेरे लिए कई बार खीर बनाता था

वह रख्शंदा का रोज इंतजार करता था। जेल में उसने हाथों से कई चीज बनाना सीखी। उसने मुझे माचिस की तिल्लियों से बना घर दिया। अपने हाथ से सजाया हुआ पर्स दिया। इन सबसे उसका प्यार झलकता था।

कई बार जेल के अधिकारी भी कहते कि हामिद आपका और आपकी उसकी पसंदीदा है।

हामिद 2012 में गए थे सरहद पार

नवंबर 2012 में प्यार में पागल हामिद सरहद पार चले गए थे। हामिद को छह साल पेशावर जेल में बिताने के बाद मंगलवार को रिहा किया गया। वह साढ़े पांच बजे अटारी सीमा पर अपनी मां, पिता निहाल अंसार और भाई से मिले। वहां मौजूद एक बीएसएफ अधिकारी के मुताबिक, हामिद से मिलते ही मां यह देखने लगीं कि पाक की जेल में उसे कहीं प्रताड़ित तो नहीं किया गया। इस पर हामिद बोले मां सब ठीक है।
आज तड़के जब हामिद दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने कहा कि मैं वतन वापस लौटकर इमोशनल हो रहा हूं।

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