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पाक प्रायोजित आतंकवाद स्वीकार नहीं : प्रणब मुखर्जी

भारत पड़ोसियों के साथ शांति चाहता हैpranab da
हमारी कोई भूभागी महत्वकांक्षा नहीं
ब्रसेल्स (एजेंसी)।  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का बेल्जियम की यात्रा के दौरान कहना था कि भारत सीमा पार आतंकवाद को स्वीकार नहीं करेगा। इसीलिए पाकिस्तान को अपने यहा आतंकवाद को खत्म कर देना चाहिए। भारत पाकिस्तान के साथ शांति चाहता है लेकिन वह अपनी भू-भागीय अखंडता को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि सीमा पार से सरकार प्रायोजित आतंकवाद को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि भारत में आतंकवाद संबंधी गतिविधियों के पीछे राष्ट्रेत्तर तत्वों (नॉन स्टेट एक्टर्स) का हाथ है। उन्होंने कहा कि ये तत्व जन्नत से नहीं आते बल्कि पड़ोसी देश के नियंत्रण वाले भू-भाग से आते हैं। चार दिन की सरकारी यात्रा पर बेल्जियम आए मुखर्जी ने दोहराया कि पाकिस्तान में आतंकवादी अवसंरचना को खत्म करने की जरूरत है। यूरोन्यूज को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। और सरकार प्रायोजित आतंकवाद को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि कृपया अपने इलाकों में मौजूद आतंकवादी संगठनों को खत्म करें। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को अंजाम देने वालों के लिए राष्ट्रेत्तर तत्व शब्द का उपयोग पाकिस्तान ने किया। राष्ट्रपति ने कहा शायद यह न हो लेकिन उन्होंने जो राष्ट्रेत्तर तत्व शब्द का उपयोग किया तो मैं कहता हूं कि राष्ट्रेत्तर तत्व जन्नत से नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रेत्तर तत्व आपके नियंत्रण वाले भू-भाग से आ रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा आज नहीं वर्ष २००४ में पाकिस्तान ने इस बात पर सहमति जताई थी कि भारत के प्रति बैरभाव रखने वाली ताकतों को अपने भू-भागों का इस्तेमाल करने की अनुमति वह नहीं देगा। उनसे पूछा गया था कि भारत कहता है कि यह सरकार प्रायोजित आतंकवाद है और पाकिस्तान कहता है कि यह सरकार प्रायोजित आतंकवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की कोई भूभागीय महत्वाकांक्षा नहीं है और वह अपनी भूभागीय अखंडता बनाए रखते हुए अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है। प्रणव ने कहा वर्ष १९७१ में जब इंदिरा गांधी भारत की और जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे तो दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हुआ था। ९१ हजार बंदी सैनिक युद्धबंदी लौटाए गए थे। राष्ट्रपति ने कहा यह सिर्फ इस सद्भावना को जाहिर करने के लिए किया गया था कि हमारी मूल विदेश नीति में हमारी कोई भूभागीय महत्वाकांक्षा नहीं है हमारी अपनी विचारधारा किसी देश पर थोपने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है और न ही हमारे कोई वाणिज्यिक हित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई भी देश अपनी भूभागीय अखंडता के साथ समझौता नहीं कर सकता। प्रणव ने कहा हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। जब मैं विदेशमंत्री था तो अक्सर मैं कहता था कि अगर मैं चाहूं तो अपने मित्रों को बदल सकता हूं लेकिन अपने पड़ोसियों को चाह कर भी नहीं बदल सकता। मेरा पड़ोसी जैसा भी है मुझे उसे स्वीकार करना ही होगा। राष्ट्रपति ने कहा वह मेरा पड़ोसी है। उसे मैं चाहूं या न चाहूं यह बात मायने नहीं रखती। इसलिए यह मुझ पर निर्भर करता है कि मैं अपने पड़ोसी के साथ शांति से रहूं या तनाव में। हम शांति को प्रधानता देते हैं। उन्होंने कहा व्यक्तिगत स्तर पर नवाज शरीफ के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं और प्रधानमंत्री उनसे मिलने जाने वाले हैं लेकिन एक बात समझनी होगी। अपनी भूभागीय अखंडता के साथ कोई भी देश समझौता नहीं कर सकता। यह संभव नहीं है। देश में आसन्न आम चुनावों के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और शिक्षा का अधिकार सहित अन्य कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर जनता अपनी राय जाहिर करेगी। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य अपने नागरिकों के लिए समावेशी विकास की ओर अग्रसर होना है। राष्ट्रपति ने कहा हम समावेशी विकास चाहते हैं और समावेशी विकास में जरूरत होती है कि खाद्य शिक्षा स्वास्थ्य और साफ सफाई आदि शामिल हों। प्रणब ने कहा हमें समावेशी विकास की ओर बढ़ना होगा और समावेशी विकास खाद्य शिक्षा स्वास्थ्य साफसफाई मुहैया करा कर हासिल किया जा सकता है क्योंकि भारत के सभी नीति निर्माताओं को १.२ अरब से अधिक आबादी की देखभाल करनी है तथा यह बड़ा काम है। उन्होंने कहा इसलिए हमारा विकास का मॉडल अन्य देशों के विकास के मॉडल जैसा नहीं हो सकता। यह भारत के सामाजिक र्आिथक हालात के मुताबिक होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि आमतौर पर चुनाव जिताने में सक्षम करिश्माई नेता की लहर का पता तब चलता है जब चुनाव संपन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कोई नेता करिश्माई है या नहीं यह बात उसकी वोट हासिल करने की क्षमता पर निर्भर करता है। मैं कह सकता हूं कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर चुनाव में हम बोलते हैं लेकिन लहर का पता तब चलता है जब चुनाव संपन्न हो जाते हैं। जब यह आती है या जब हवा बहती है तब कोई भी यह नहीं कह सकता कि हवा या लहर कहां बह रही है।

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