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पाक मंत्री बोले- भारत सरकार से बड़े फैसलों की कोई उम्मीद नहीं, नई सरकार बनने पर होगी बातचीत

पाकिस्तान के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा है कि भारत में चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद ही उनका देश उससे शांतिवार्ता बहाल करने का प्रयास करेगा क्योंकि वर्तमान भारत सरकार से बड़े फैसलों की कोई उम्मीद नहीं है और ऐसे में उसके साथ बातचीत ‘निरर्थक’ है। गल्फ न्यूज के अनुसार पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि बातचीत करने के लिए यह सही वक्त नहीं है क्योंकि भारतीय नेता आगामी चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।

पाक मंत्री बोले- भारत सरकार से बड़े फैसलों की कोई उम्मीद नहीं, नई सरकार बनने पर होगी बातचीत

उन्होंने कहा जबतक (भारत में) कुछ स्थायित्व नहीं आ जाता, तबतक उससे बातचीत करना निरर्थक है। चुनाव के बाद नयी सरकार बन जाए, फिर हम आगे बढेंगे। उन्होंने कहा भारत के साथ बातचीत में अपने प्रयासों में हमने देरी कर दी है क्योंकि हमें वर्तमान भारतीय नेतृत्व से किसी बड़े निर्णय की आस नहीं है। चौधरी ने कहा कि भारत की जनता जिस किसी भी नेता और पार्टी को चुनकर सत्ता में लाएगी, पाकिस्तान उसका सम्मान करेगा।

जब उनसे पूछा गया कि जब शांति वार्ता की बात आएगी तो कौन से भारतीय नेता पाकिस्तान को सूट करेंगे- नरेंद्र मोदी या राहुल गांधी, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इससे फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत में जो कोई भी सत्ता में आएगा, हम बातचीत के लिए आगे बढेंगे।
पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा भारत में 2016 में आतंकवादी हमले करने और तत्पश्चात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गये थे। यह द्विपक्षीय संबंध 2017 में और बिगड़ा एवं दोनों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई।

भारत कहता रहा है कि आतंकवाद और वार्ता साथ साथ नहीं चल सकती। चौधरी ने कहा कि पिछले साल नवंबर में भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर गलियारे का खुलना दोनों देशों के बीच संबंधों में उल्लेखनीय विकास है क्योंकि इससे न केवल सिखों को मदद मिलेगी बल्कि द्विपक्षीय संबंध को भी फायदा होगा।

जब उनसे पूछा गया कि जब विदेश नीति की बात आती है तो पाकिस्तान में कौन आखिरी निर्णय लेता है– सेना या नागरिक सरकार, तो उन्होंने कहा कि बिल्कुल प्रधानमंत्री इमरान खान। उन्होंने कहा पिछली सरकारों में नागरिक सरकार और सेना के बीच कई मुद्दों पर टकराव होते थे क्योंकि दोनों एक दूसरे से खुलकर बातचीत करने में समर्थ नहीं थी। लेकिन, जब से इमरान खान सत्ता में आये हैं, तब से बात ऐसी नहीं है।

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