पाक में पारित किया गया हिंदू विवाह अधिनियम
- सीनेट ने निर्विरोध पारित किया यह बिल|
- लड़के और लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष|
इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान में बहुप्रतीक्षित हिन्दू विवाह अधिनियम को पारित कर दिया गया है। पाक के कानून मंत्री जाहिद हमीद ने शनिवार को यह बिल सीनेट के सामने पेश किया , जिसका किसी भी सदस्य ने विरोध नही किया। यह बिल सर्वसम्मति से पास हो गया। वहां की नेशनल असेंबली करीब चार महीने पहले इस बिल पर मुहर लगा चुकी है।
अब सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून लागू हो जाएगा। इसके बाद पाकिस्तान के पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी शादी का पंजीयन कराने का अधिकार मिल जाएगा। यहां सिंध प्रांत में हिंदुओं को पहले ही विवाह पंजीकरण का अधिकार हासिल है। खबरों के मुताबिक, इस विधेयक में हिंदुओं की शादी, परिवार, मां और बच्चे को सुरक्षा प्रदान करने की बात की गई है। विधेयक में हिंदुओं की शादी के लिए लड़के और लड़की की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है।
वहीं अन्य धर्मों के नागरिकों के लिए न्यूनतम विवाह उम्र पुरुषों की 18 साल और जबकि लड़कियों की 16 साल है। इस कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने की जेल और 5हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इस विधयक में यह भी प्रावधान है कि विवाहित दंपति में से कोई एक अगर धर्म परिवर्तन कर लेता है, तो दूसरा साथी अदालत में तलाक की अर्जी दे सकता है। वहीं तलाकशुदा हिंदुओं को फिर से शादी करने की भी इजाजत मिलेगी।
इस कानून के लागू होने के बाद हिंदू समुदाय के सदस्य शादी को पंजीकृत कराने के अलावा शादी टूटने के मामलों में अदालत में अपील कर सकेंगे। इसके मुताबिक मुसलमानों कि निकाहनामा की तरह ही हिंदुओं को भी अपने शादी के प्रमाण का दस्तावेज मिलेगा, जिसे ‘शादीपरात’ कहा जाएगा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को यह हक दिलाने के लिए काम कर रहे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक विवाह का सबूत हिंदू महिलाओं को अधिक सुरक्षा मुहैया करेगा। शादी का पंजीयन होने पर कम से कम उनके कुछ खास अधिकार सुनिश्चित होंगे। बता दें कि पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या लगभग 20 लाख है। इस कानून के पारित होने के बाद वहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं के अधिकार सुरक्षित हो जाएंगे।