पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कहते हैं शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिनभर में कम से कम आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। पानी पीना फायदेमंद तो होता ही है, लेकिन तब जब सही मात्रा में और सही तरीके से पिया जाए। अगर पानी को गलत तरीके से पिया जाए या गलत समय में अधिक मात्रा में पिया जाए तो वह शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, ऐसा आयुर्वेद में वर्णित है। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है,भोजन से लेकर जीवनशैली तक की चर्चाएं इस शास्त्र में समाहित हैं। आज हम आयुर्वेदिक ग्रन्थ अष्टांग संग्रह (वाग्भट्ट) में बताए गए पानी पीने के कुछ कायदों से आपको रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। चलिए जानते हैं पानी कब, कैसे और कितना पीना चाहिए……खाना खाने से पहले यदि पानी पिया जाए तो यह जल अग्निमांद (पाचन क्रिया का मंद हो जाना) यानी डायजेशन में दिक्कत पैदा करता है।पानी पीने के कायदों के बारे में रोचक जानकारी दे रहे हैं डॉ.नवीन जोशी एम.डी.आयुर्वेद। डॉ.नवीन जोशी विगत कई वर्षों से अपने लेखन के माध्यम से लोगों को आयुर्वेद,योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। दैनिक भास्कर जीवन मंत्र के लिए लगभग 200 से अधिक लेख लिख चुके हैं। साथ ही, विभिन्न जड़ी-बूटियों को लाइव वीडियो के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर चुके हैं।
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