पानी संरक्षण के लिए मिसाल बना गांव, 7 सौ घरों में हैं एक हजार कुएं
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ग्रामीणों का कहना है कि पानी का स्त्रोत तो कई होते हैं, लेकिन इस तरह से भूजल स्तर को बढ़ाने के लिये ट्रेडिशनल कुएं बेहतर विकल्प
रायपुर : छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के भटगांव में ग्रामीणों ने ट्यूब वेल को छोड़ ट्रेडिशनल वेल को अपनाया और जल संरक्षण के लिए मिसाल बन गया. इस गांव में बीते 40-50 साल से जल संकट नहीं हुआ. वजह है वो अभियान जिसमें गांव के हर घर में कुआं खोदा गया था. आज जहां धमतरी के ज्यादातर गांव में जल संकट है तो वहीं भटगांव के हर कुएं में महज 10 से 12 फीट में भरपूर पानी है. भटगांव के ग्रामीण राजाराम और मोहित देवांगन बताते हैं कि अगर आज हम किसी को बताते हैं कि जमीन के नीचे 10 से 12 फीट में पानी मिल जाता है तो कई लोग यकीन नहीं करते हैं. क्योंकि आज छत्तीसगढ़ में कहीं भी बोर वेल करवाया जाए, 100 से 400 फीट गहरा खोदने के बाद ही गुणवत्तायुक्त पानी मिलता है. गर्मियों में वो और भी नीचे चला जाता है. भूजल स्तर का पूरी दुनिया में यही बुरा हाल है, लेकिन हमारा भटगांव सारी दुनिया से अलग है. ग्रामीण महेश कुमार और हेमलाल कहते हैं कि हमारे गांव में जल संकट नहीं होता. क्योंकि यहां ट्यूब वेल को छोड़ हमने ट्रेडिशनल वेल को अपनाया है. ट्रेडिशनल वेल मतलब परंपरागत कुआं. बताते हैं कि धमतरी शहर से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर भटगांव में लगभग 50 साल पहले सूखा पड़ा था, पानी के लिये त्राही त्राही मची. तभी गांव ने एकमत होकर कुआं खोदने का फैसला किया और हर तरह से पानी को बचाने की सीख भी सूखे के कारण मिली. तब से ये गांव पानी की बचत और बढ़त को नियंत्रित कर रहा है. धमतरी के भटगांव में कुल 700 परिवारों का घर है, लेकिन जल संरक्षण के लिए इस गांव में करीब एक हजार कुएं हैं. इन कुओं में जल स्तर बनाए रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग नीति का पालन भी किया जा रहा है.