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पायलटों, इंजीनियरों पर होगी सख्ती

air indiaमुम्बई: नागर विमानन मंत्रालय श्रम कानूनों के तहत पायलट और विमानन क्षेत्रों के इंजीनियरों को मिली मौजूदा सुरक्षा को समाप्त करने की तैयारी कर रहा है। इसी के चलते मंत्रालय द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947(ए) में संशोधन की मांग की गई है। यह प्रस्ताव एयर इंडिया के कहने पर पेश किया गया है। एयर इंडिया की हालत में सुधार करने के लिए अब तक करीब 17,000 करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं लेकिन अब भी एयर इंडिया खराब वित्तीय हालातों से जूझ रही है। निजी विमानन सेवाओं के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते एयर इंडिया को बाजार हिस्सेदारी कम होने की आशंका भी सता रही है। वहीं एयर इंडिया के लिए प्रबंधन क्षेत्र की सेवा शर्तों में बदलाव करना आसान नहीं है क्योंकि कर्मचारियों को श्रम कानून के तहत राहत मिली हुई है। एयर इंडिया ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से श्रमिक कानून के संशोधनों के लिए अपील की है। इसके तहत कंपनी की मांग है कि इस कानून में विमान चालक और इंजीनियरों को वर्कमैन श्रेणी से हटा दिया जाए। वर्ष 2013 में श्रम मंत्रालय ने ऐसे ही एक अनुरोध को ठुकरा दिया था और कहा था कि विमान पायलटों व इंजीनियरों की नौकरी तकनीकी वर्ग में आती है इसलिए इन्हें वर्कमैन श्रेणी से नहीं हटाया जा सकता। हालांकि अब एयर इंडिया ने यह सुझाव दिया है कि वरिष्ठ पायलटों और इंजीनियर्स की भूमिका एक पर्यवेक्षक की ज्यादा हो गई है इसलिए इन्हें वर्कमैन की श्रेणी से हटा दिया जाना चाहिए

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