पिछली सरकार से विरासत में मिले टैक्स से जुड़े कई मामले सुलझाए: अरुण जेटली
एजेन्सी/ सिडनी: वित्त मंत्री अरुण जेटली आज कहा कि भारत सरकार ने पिछली सरकार से विरासत में मिले कराधान से जुड़े कई मामले सुलझा लिए हैं और वह धीरे-धीरे कापरेरेट कर 25% के वैश्विक स्तर पर ला रही है जो फिलहाल 30% है।
उन्होंने कहा, एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है भारत की कराधान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना। इसलिए हम अब प्रत्यक्ष कर प्रणाली पर काम कर रहे हैं जिसके तहत हम विवाद खत्म करना चाहते हैं। जेटली ने कहा, हम चाहते हैं कि लोग अपने कर विवाद निपटाएं। इसलिए इस बजट में मैंने लंबित मामलों को निपटाने के लिए विभिन्न किस्म की व्यवस्थाओं का भी प्रस्ताव किया है।
जेटली ने कहा कि सरकार भारत में कापरेरेट कर की दर धीरे-धीरे उचित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की दिशा में काम कर रही है जिसके तहत कोई विशेषाधिकार नहीं होगा और न किसी तरह की अतिरिक्त छूट। धीरे-धीरे इन सबको खत्म कर 25% के कापरेरेट कर के स्तर पर लाना है। बजट 2016-17 ने विवाद निपटान व्यवस्था प्रदान की है जिसके तहत कर मांग का सामना कर रही कंपनियां जो विभिन्न चरणों में अटकी हुई हैं, वे मूल तथा ब्याज या जुर्माना अदा कर इन्हें विराम दे सकती हैं।
जहां तक पिछली तारीख से संशोधन के आधार पर कर मांग का सामना कर रही कंपनियों का सवाल है तो बजट में एक योजना का प्रावधान किया गया है जिसके तहत ब्याज और जुर्माने को माफ किया जा सकता है और कंपनियां सिर्फ मूल कर मांग अदा कर विवाद निपटा सकती हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर जेटली ने कहा कि भारत के लिए यह समान कर व्यवस्था संसद में लंबित है जिसके तहत देश को एक बड़े बाजार में परिणत किया जा सकता है और वस्तु एवं सेवाओं का हस्तांतरण इस पूरे विशाल बाजार में किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, मुझे पक्का भरोसा है कि हम धीरे-धीरे ऐसी स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं जिसमें हम जल्द से जल्द इसे संसद में पारित कर सकें। अप्रत्यक्ष कर सुधार से जुड़ा जीएसटी विधेयक राज्य सभा में अटका है जहां सत्ताधारी राजग का बहुमत नहीं है। कांग्रेस विधेयक में तीन बदलाव की मांग कर रही है जिनमें जीएसटी दर पर संवैधानिक सीमा तय करना शामिल है।