अद्धयात्मजीवनशैली

पितरों को प्रसन्न करने के लिए अचूक उपाय

ज्योतिष डेस्क : पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण कराते हैं और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं। श्राद्ध भाद्र पद के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या को खत्म होता है। पितृपक्ष के आखिरी दिन यानी अमावस्या के दिन को सर्वपित्रू अमावस्या कहा जाता है। इस दिन उन सभी लोगों का पिंडदान होता है, जिनके देहांत की तिथि पता नहीं है। श्राद्ध पक्ष में 11 बातें आपको पितरों का आशीष दिलाएंगी। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ‍पितृ पक्ष के सोलह दिन हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। मान्यता है कि हमारे द्वारा शुद्ध मन से किया गया तर्पण उन्हें तृप्ति प्रदान करता है और वे हमें पवित्र आशीष प्रदान करते हैं-

– श्राद्ध करने के लिए तर्पण में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, गंध मिश्रित जल से पितरों को तृप्त किया जाता है।
– ब्राह्मणों को भोजन और पिंड दान से के जरिए पितरों को भोजन दिया जाता है।
– ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दी जाती है।
– श्राद्ध में गंगाजल, दूध, शहद, दौहित्र (पुत्री की संतान), कुश और तिल चीजों को जरूर सम्मिलित करें।
– सुनिश्चित कुतप काल में धूप देकर पितरों को तृप्त करें।
– तुलसी का प्रयोग सर्वाधिक करें। तुलसी की गंध पितरों के लिए शांतिदायक होती है।
– इस दिन अगर आपके घर में कोई भिखारी आ जाए तो उसे भी आदरपूर्वक भोजन कराना चाहिए।
– पितरों के श्राद्ध के दिन गाय और कौए के लिए भी भोजन निकालना चाहिए।
– जल का तर्पण करने से पितरों की प्यास बुझती है।
– श्राद्ध के दिन गाय, मछली, कुत्ता, कौआ, भिक्षुक और चींटी इन्हें आहार देने का अवसर आए तो उसे न चूकें।
– पितृ पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मण के लिए भी नियम है कि श्राद्ध का अन्न ग्रहण करने के बाद कुछ न खाएं।।

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