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पिता और पत्नी ने दी ढाई साल की सजा जानवरों की तरह जंजीरों में बांध कर रखा…

श्योपुर के वार्ड 15 के कमालखेड़ली में एक युवक को उसकी पत्नी और पिता ने जानवरों की तरह जंजीरों से बांधकर रखा है। एक जंजीर गले में डली है, जिसमें ताला लगा है तो दूसरी जंजीर से उसके पैर बंधे हुए हैं। गले और पैर में ली जंजीरें टीनशैड के पाइप से बांध रखी हैं। सुबह शौचालय जाने या दो-तीन दिन में नहाने के समय पर ही उसे जंजीरों से मुक्त किया जाता है। बाकी समय एक खटिया पर जंजीरों से बंधा हुआ रहता है। ऐसी ही हालत में सोता है और खाना खाता है।

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45 साल के हुकमचंद राव को उसके पिता बजरंग लाल और पत्नी राममूर्ति ने ही बांधकर रखा है। नईदुनिया की टीम नगर पालिका के कर्मचारी बनकर बजरंगलाल राव के घर शौचालय का सर्वे करने पहुंची। जब पत्नी से पूछा तो वह कुछ भी बताने तैयार नहीं।

जंजीरों में बंधक हुकमचंद के चार बच्चे हैं, उनसे पूछा तो बड़ी बेटी बोली, उनका दिमाग चल गया है। बाकी के तीन बच्चों ने कोई जबाव नहीं दिया। पिता बजरंग लाल से पूछा तो उन्होंने जंजीरों से बंधे बेटे को पागल बताया। लेकिन जब उनसे पूछा कि, इसका इलाज कहां करा रहे हो? तो बोले… पता नहीं, ससुराल वाले कहीं करा रहे होंगे।

ढाई साल से जंजीरों में बंधा हुकमचंद पेशे से ड्राइवर रहा है, लेकिन अब परिजनों ने जंजीरों में क्यों बांध रखा है इसका जबाव पड़ोसियों को भी चाहिए। हमने कई लोगों से पूछा कि, हुकमचंद पागलों जैसी हरकत करता है? किसी पर हमला या नुकसान पहुंचाने की घटना की है क्या? तो मोहल्लेवालों ने ही हुकमचंद के पागल होने से इंकार कर दिया। किसी को नहीं पता कि, उसकी पत्नी और पिता ने जानवरों की तरह क्यों बांध रखा रहा है।

जाते ही चाय-पानी की पूछा

नईदुनिया की टीम दो दिन हुकमचंद के घर गई। शनिवार को बीपीएल का राशनकार्ड बनवाने के बहाने गए तो हुकमचंद जंजीरों से बंधा खटिया पर बैठा हुआ था। बीपीएल का नाम सुनते ही बोला कि, बनवा दो भाई साहब किसी ने तो हमारी सुध ली।

बीपीएल से तो कई फायदे हैं। इसके बाद हुकमचंद ने अपनी बेटी को आवाज दी और बोला कि, पहले पानी लाओ फिर अदरक डालकर बढ़िया चाय बनाओ। यदि हुकमचंद की मानसिक स्थित ठीक नहीं होती तो मेहमाननवाजी की तरह उग्र होता और बीपीएल से होने वोले फायदे भी उसकी समझ से बाहर होते।

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