पिता दे सकता है शादीशुदा बेटी को प्रॉपर्टी: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक आदमी कानूनी तौर पर अपने मृत्यु के बाद ऑपरेटिव सोसाइटी का फ्लैट अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर करने की बजाए अपनी शादीशुदा बेटी को दे सकता है। पश्चिम बंगाल कोऑपरेटिव सोसाइटी रूल्स 1987 के मुताबिक कोऑपरेटिव सोसाइटी के फ्लैट का मालिक अपने घर के किसी भी सदस्य को नॉमिनेट कर सकता है।
इस नियम और पश्चिम बंगाल कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट 1983 के नियमों का हवाला देते हुए बिस्वा रंजन सेनगुप्ता की पत्नी और बेटे ने सेनगुप्ता की शादीशुदा बेटी इंद्राणी वाही को कोलकाता के सॉल्ट लेक सिटी में पूर्बान्चल हाउसिंग एस्टेट की मैनेजिंग कमेटी के फ्लैट का मालिकाना हक देने के फैसले को चुनौती दी थी।आपत्ति के आधार पर, कोऑपरेटिव सोसाइटीज के उप रजिस्ट्रार ने सेनगुप्ता द्वारा बेटी का नाम उत्तराधिकारी के रूप में दर्ज करने से इनकार कर दिया था जो कि अपने अंतिम दिनों में पत्नी और बेटे के ‘दुर्व्यवहार’ के कारण बेटी के साथ रह रहे थे।
इंद्राणी की अपील को हाईकोर्ट के एकल न्यायधीश द्वारा उसके नाम पर फ्लैट रजिस्टर होने के लिए अनुमति दे दी थी। लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इंद्राणी चूंकि सेनगुप्ता की पत्नी और बेटे के साथ प्रॉपर्टी के शेयरहोल्डर की हिस्सेदार है तो उन्हें अन्य शेयरहोल्डर्स की सहमति के साथ ही प्रॉपर्टी को अपने अधिकार में कर सकती है। इंद्राणी ने अपेक्स कोर्ट में इस जजमेंट के खिलाफ अपील की थी।
जज जेएस खेहर और सी नागाप्पन की पीठ ने इस मुद्दे के निर्णय के सभी पहलुओं का विश्लेषण किया और कहा ‘ इसमें कोई शक नहीं कि कोऑपरेटिव सोसाइटी का कोई सदस्य नियमों के प्रावधानों के अनुरूप एक व्यक्ति को नामित कर सकता है, और उसे सदस्य की मृत्यु पर कोऑपरेटिव सोसाइटी को सभी शेयर और इंटरेस्ट उस नामित व्यक्ति को ट्रांसफर करना होता है। अगर किसी सदस्य ने धारा 79 के तहत नामांकन के अधिकार का प्रयोग नहीं किया तो सदस्य के मौजूदा शेयर या इंटरेस्ट उत्तराधिकार या विरासत के माध्यम से सौंपे जाएंगे।
कॉओपरेटिव सोसाइटी के पास फ्लैट की मालिक के तौर पर इंद्राणी को रजिस्टर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा है कि सेनगुप्ता के बेटे उत्तराधिकार या विरासत के मामले को आगे बढ़ाने के लिए अन्य फोरम में जा सकते हैं।