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पीएम नरेंद्र मोदी ने असम में फूंका चुनावी बिगुल, कहा- आपके सपने सच करने आया हूं

narendra-modi_650x400_61453188759गुवाहाटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज असम के दौरे पर हैं। कोकराझार में पीएम ने कहा कि मैं आपके सपनों को सच करने आया हूं।  दरअसल, चुनाव से पहले बीजेपी को राज्य में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट यानी बीपीएफ का साथ मिला है।

भाषण के मुख्य अंश-
-मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, इस दिल में आप ही समा गए हैं, इसलिए ये दिल भी खुल चुका और हाथ भी खुल चुके हैं।
-12 साल से जो वादे आपसे किए गए उन वादों का भी निपटारा नहीं हुआ
-वे 15 साल में कुछ नहीं कर पाए, मुझसे चाहते हैं कि 15 महीने में सब कर दूं
-यहीं से मनमोहन सिंह जी को चुनकर भेजा, फिर भी कामों की इतनी लंबी लिस्ट बाकी है
-देश के बदलने के लिए तीन सूत्री कार्यक्रम है
-सारी समस्याओं का समाधान विकास ही है
-विकास करना है तो इंफ्रास्ट्रकचर पर ध्यान जरूरी
-हमारी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी बनाई है
-इसके तहत नॉर्थ ईस्ट को विकास की मुख्यधारा में लाना है
-आजादी के 70 साल होने को हैं, लेकिन देश के 18 हजार गांवों में बिजली का खंभा भी नहीं है
-अब हर दिन का हिसाब वेबसाइट पर दिया जाता है
-2022 तक 24 घंटे बिजली देने का सपना
-2022 तक हर परिवार को घर देने का वादा
-जनधन योजना के तहत 20 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए, इसके तहत 30 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा किए
– यहां के लोगों को रोजगार मिलना चाहिए, इसके लिए काम कर रहे हैं
-आपके आशीर्वाद से मुझे काम करने की ताकत मिलती है
-यहां की समस्याओं के समाधान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

असम में बीजेपी हुई है मजबूत
126 सीटों वाली विधानसभा में BPF के 12 और बीजेपी के 5 विधायक हैं। हाल के दिनों में असम में बीजेपी मज़बूत हुई है और इस बार चुनाव में पार्टी कोई कसर बाक़ी नहीं रखना चाहती। यही वजह है कि हाल के दिनों में कई केंद्रीय मंत्रियों ने असम का दौरा किया है

बीजेपी का मिशन असम
बीजेपी असम चुनावों से पहले यहां अपना पहला गठबंधन कर सकती है। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ इस गठबंधन का ऐलान प्रधानमंत्री के असम दौरे में हो सकता है। प्रधानमंत्री बोडो लोगों के लिए एक विशेष पैकेज का ऐलान भी कर सकते हैं।

राहत शिविर के लोगों को पीएम का इंतजार
कोकराझार से 45 किलोमीटर दूर सापकाटा के इस राहत शिविर में रह रहे आदिवासियों को प्रधानमंत्री के दौरे का बेताबी से इंतज़ार है। जातीय हिंसा के बाद बेघर हुए इन लोगों के पास जीवन की बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। पूरे कोकराझार में ऐसे सैकड़ों परिवार हैं, जिन्हें शिकायत है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए।

 

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