एजेन्सी/ गुवाहाटी: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति ‘लचर’ है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश के लोगों से किए गए अपने वादे पूरे करने में पूरी तरह नाकाम रही है। राज्यसभा में 10 साल तक असम की नुमाइंदगी करने वाले मनमोहन ने कांग्रेस की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘पाकिस्तान के मुद्दे पर मोदी सरकार की नीति लचर है। पाकिस्तानी आतंकवादियों का सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही आना जारी नहीं है, बल्कि वे पंजाब एवं अन्य पड़ोसी राज्यों में भी आ रहे हैं।’ पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पठानकोट एयरबेस पर हुआ हालिया हमला हमारी कमजोरी का सबसे ताजा प्रमाण है।’
मनमोहन ने कहा, ‘इन दो सालों में वह (मोदी) एक ही चीज हासिल कर पाए हैं कि उन्होंने करोड़ों लोगों के बैंक खाते खुलवा दिए। लेकिन लोग पूछ रहे हैं कि जब उनके पास बैंक में रखने के लिए कुछ है ही नहीं तो वे बैंक खातों का करेंगे क्या।’ पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अंग्रेजी में एक कहावत है कि करनी की आवाज कथनी से ज्यादा तेज होती है। बहरहाल, ऐसा लगता है कि मोदी सार्वजनिक जीवन की इस बुनियादी बात को भूल गए हैं।’ उन्होंने कहा कि अब गैर-जरूरी मुद्दों को अहम मुद्दों के तौर पर लाकर लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिशें जानबूझकर की जा रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक मोर्चे पर, पिछले दो साल से कृषि क्षेत्र का विकास थमा पड़ा है, जिससे भारतीय किसानों को बड़े पैमाने पर संकट का सामना करना पड़ रहा है।’ मोदी पर हमला जारी रखते हुए मनमोहन ने कहा कि उनके विदेश दौरों को बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखाया जा रहा है, लेकिन हर कोई जानता है कि इनसे अब तक हासिल कुछ नहीं हुआ है। लोकसभा चुनाव से पहले विदेशी बैंकों में भारतीयों की ओर से रखे गए काले धन वापस लाने के मोदी के वादे का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि दुर्भाग्यवश यह सरकार भारत के लोगों से किए गए वादे पूरे करने में बुरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने कहा, सपनों के सौदागर हमेशा यही बेचते रहते हैं और उनके (मोदी के) वादों की फेहरिस्त अंतहीन है।
मनमोहन ने कहा, जब भी असम की कमान किसी गैर-कांग्रेस पार्टी को दी गई तो राज्य को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। असम के लोगों से कांग्रेस को ‘मजबूत जनादेश’ देने की अपील करते हुए मनमोहन ने कहा कि इससे राज्य में विकास नई उंचाइयों को छुएगा। मनमोहन ने कहा कि देश में औद्योगिक उत्पादन ठप पड़ गया है, जिसकी वजह से रोजगार में वृद्धि के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे, जबकि पिछले 15 महीने से निर्यात गिरता ही चला जा रहा है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की घटनाएं दिखाती हैं कि केंद्र सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने की कोशिशें कर रही है और भारतीय राजव्यवस्था को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की मोदी सरकार की इच्छा का पर्दाफाश करता है और वह संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन कर सत्ता के केंद्रीकरण को बढ़ावा दे रही है।