पीरियड में इंफेक्शन के बाद मौत का डर दिखाकर कोख निकाल रहे हैं ‘डॉक्टर’
पिछले दिनों महाराष्ट्र के एक गांव में महिलाओं से ज्यादा मजदूरी कराने से जुड़ी दिल दहला देने वाली अमानवीय खबर सामने आई थी. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि शादीशुदा और बाल बच्चे वाली महिलाओं को पीरियड के दौरान भी मजदूरी करनी पड़े इसलिए यहां महिलाओं की कोख निकालने की अमानवीय हरकत की जा रही है. संबंधित गांव में यह एक परंपरा बनती जा रही है कि जिन महिलाओं के दो से तीन बच्चे हो गए हैं उनकी कोख निकलवाई जा रही है.
लेकिन अब इस मामले का एक दूसरा ही पहलू सामने आ रहा है. आजतक ने जब संबंधित रिपोर्ट्स का पीछा करते हुए पड़ताल की तो महाराष्ट्र के गांव में महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार के पीछे एक दूसरा ही गोरखधंधा नजर आया.
बताते चलें कि रिपोर्ट्स में बताया गया था कि महाराष्ट्र के बीड जिले के वंजारवाड़ी गांव में महिलाओं से खेतों में ज्यादा से ज्यादा काम लेने के लिए दो या तीन बच्चे को जन्म देने के बाद उनकी कोख को निकाल दिया जाता है. ताकि महिलाओं को पीरियड न हो और वे खेतों में ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें. आज तक की पड़ताल में जानकारी मिली कि बीड जिले के संबंधित गांव में कुछ डॉक्टर पैसों के लालच में महिलाओं की कोख निकालने का काला धंधा कर रहे हैं.
मतदाता आंकड़ों के लिहाज से देखें तो जिले में करीब 9 लाख 34 हजार महिलाएं हैं. जिले के डॉक्टरों का कहना है कि, मजदूरी करने की वजह से महिलाएं अपनी साफ-सफाई का ध्यान नहीं रख पाती हैं, जिसके चलते उन्हें गर्भाशय की बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
बीड की सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा तोकले ने बताया, “पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करने से कई महिलाओं को गर्भाशय का इंफेक्शन हो जाता है, जो कुछ समय के बाद कैंसर का रूप भी ले लेता है. कैंसर का इलाज कराने जब महिलाएं हॉस्पिटल पहुंचती हैं, तो यहां के कुछ डॉक्टर रुपयों के लालच में बीमारी का सही इलाज करने के बजाए कैंसर से मौत का डर दिखाकर गर्भाशय ही निकाल देते हैं और महिलाएं मौत के डर से अपना गर्भाशय निकलवाने के लिए मजबूर हो जाती हैं.”
इस बारे में बीड के जिला अस्पताल के डॉ. अशोक थोरात ने बताया, “बीड जिले के 10 निजी अस्पतालों में सबसे ज्यादा महिलाओं का गर्भाशय निकाला गया है.” वहीं, आजतक की तहकीकात में यह भी पता चला कि जिले में पिछले तीन सालों में अब तक करीब 4500 महिलाओं का गर्भाशय निकाला जा चुका है.
बता दें, बीड जिले को मराठवाड़ा में मजदूरों के सप्लायर के तौर पर भी जाना जाता है. यहां 80 फीसदी परिवार मजदूरी का काम करते हैं. इन परिवारों की महिलाएं सबसे ज्यादा शुगर फैक्ट्री में काम करती हैं, जबकि कई महिलाएं ईट बनाने का काम करती हैं. वहीं, गरीबी और भूखमरी से पीड़ित कई परिवार जिले के बाहर भी मजदूरी करने को मजबूर हैं. वैसे कोख निकालने की खबर के सामने आने के बाद महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (MSCW) ने भी बीड जिले के अधिकारियों को पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं.
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की चेयरपर्सन ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव यूपीएस मदन को मामले में हस्तक्षेप करने और खतरे को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए एक नोटिस जारी किया कि महिलाओं के साथ ऐसा कोई अत्याचार न हो सके.