राज्य
पुलिसकर्मियों को मिलेंगी ज्यादा बुलेटप्रूफ जैकेट, चाकचौबंद बनाने की कवायद तेज
मुंबई.राज्य सरकार ने पुलिसकर्मियों के लिए जिन पांच हजार बुलेट प्रूफ जैकेट के ऑर्डर दिए हैं उनमें से एक बड़ा हिस्सा राज्य के नक्सलियों से जूझ रहे पुलिसकर्मियों को मिल सकता है। खासकर सुकमा नक्सली हमले के बाद नक्सलियों का सामना कर रहे पुलिसवालों को चाकचौबंद बनाने की कवायद तेज हो गई है। फिलहाल राज्य पुलिस के पास केंद्र सरकार से मिले दो हजार बुलेट प्रूफ जैकेट हैं जो नाकाफी हैं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वीवी लक्ष्मीनारायण ने बताया कि जून महीने में राज्य पुलिस को पांच हजार बुलेटप्रूफ जैकेट मिलेंगे।
मांग और जरूरत के हिसाब से इसे विभिन्न विभागों में बांटा जाएगा। उन्होंने कहा कि नक्सलियों से लोहा ले रहे पुलिसवालों को भी पर्याप्त संख्या में बुलेट प्रूफ जैकेट मुहैया कराए जाएंगे जिससे वे बिना किसी डर के खतरों का मुकाबला कर सकें। उन्होंने कहा कि किस विभाग को कितने बुलेटप्रूफ जैकेट मिलेंगे। फिलहाल इसका आंकड़ा नहीं दिया जा सकता लेकिन बंटवारे के वक्त इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि इसकी सबसे ज्यादा जरूरत जिन पुलिस वालों को हो उनके पास यह कवच मौजूद हो। गढ़चिरोली पुलिस और नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिसकर्मियों के अलावा क्विक रिस्पांस टीम, स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स, फोर्स वन के साथ-साथ मुंबई पुलिस को भी और बुलेटप्रूफ जैकेटों की जरूरत है। मौजूदा आॅर्डर कानपुर की एमकेयू कंपनी को दिए गए हैं। यह कंपनी जर्मनी से जैकेट आयात करेगी।
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घटिया सामानों की खरीदी को लेकर हुआ था विवाद
बुलेट प्रूफ जैकेट की गुणवक्ता जांचने के लिए चंडीगढ़ सेंट्रल फाॅरेंसिक लैबोरेटरी में इसका एके सीरीज समेत सभी अत्याधुनिक राइफलों से गोलियां चलाकर परीक्षण किया गया है। अपने पास पहुंचने के बाद राज्य पुलिस एक बार फिर इसका परीक्षण करेगी। 2008 में मुंबई आतंकी हमलों में तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत हो गई थी। करकरे ने बुलेटप्रूफ जैकेट पहन रखा था लेकिन बाद में जांच में सामने आया कि गोलियां इस जैकेट को पार कर गईं थीं। इसके बाद घटिया सामानों की खरीदी को लेकर काफी विवाद हुआ था।