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पुश्तैनी काम में माहिर है 13 साल की उज्मा, व्हील चेयर पर बैठकर फैमिली की मदद
शिमला.अगर मन में कुछ काम करने की लग्न हो तो कामयाबी अवश्य मिलती है, बस उसके लिए हिम्मत होनी चाहिए। यही कर दिखाया है कि बरमाणा-बिलासपुर में रह रही गरीब घर की 13 वर्षीय उज्मा जो शारीरिक रूप से चलने फिरने में असमर्थ है इसके बावजूद भी एक भले चंगे व्यक्ति की तरह काम कर पैसे कमाने में अपने परिवार की मदद भी कर रही है।
कारीगरी में माहिर है नन्हें हाथ
बेटी उज्मा सर्वशिक्षा अभियान के तहत 5वीं कक्षा की शिक्षा प्राप्त कर रही है वहीं व्हील चेयर पर बैठकर वह तकिये व चादरें आदि बनाने में अपने पुश्तैनी कारीगरी करती हैं। मूल रूप से उत्तरप्रदेश के बेल्लारी-मुरादाबाद कस्बे की रहने वाली उज्मा के शरीर का निचला हिस्सा एक दुर्घटना के चलते बिल्कुल बेकार हो चुका है लेकिन इस बेटी ने हिम्मत नहीं हारी है। उज्मा जब चार वर्ष की थी तब वह एक दुर्घटना में मकान के ढह जाने से उसके शरीर का निचला हिस्सा मकान के मलबे में दब गया था।
शरीर का निचला हिस्सा ठीक नहीं हुआ
दुर्घटना के बाद उज्मा के गरीब मां-बाप ने अस्पताल में यथासंभव उसका इलाज तो करवाया लेकिन उसके शरीर का कमर से नीचे के हिस्से में संवेदना वापस नहीं लौटी और शरीर का यह निचला हिस्सा ठीक नहीं हो सका।
अभिभावकों को नहीं हारने दी हिम्मत
उज्मा ने न तो स्वयं हिम्मत हारी न ही अपने पिता नदी हुसैन व मां फातिमा जायरा की हिम्मत को हारने दिया। उसने बैठे-बैठे ही नक्काशी करने के अपने पुश्तैनी काम को पूरी लग्न से सीखा व अपने इस पुश्तैनी कार्य में अपने परिवार का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसने अपनी पढ़ाई लिखाई भी नहीं छोड़ा। जब सर्वशिक्षा अभियान का उसे पता चला तो उसके मन के किसी कोने में छुपी पढऩे की ललक जाग उठी।
बेटियां फांउडेशन कर रही मदद
वहीं समाजसेवी संस्था बेटियां फाऊंडेशन की अध्यक्ष सीमा सांख्यान उज्मा की मदद कर रही है। बीते दिनों ऑकलैंड हाउस स्कूल में संस्था की ओर से सम्मान समारोह में बेटी उज्मा को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। वहीं बेटियां फाऊंडेशन की अध्यक्ष सीमा सांख्यान ने बताया कि संस्था जहां उसकी आगे पढऩे में मदद करेगी उसके इलाज की लिए भी मदद करेगी। वहीं प्रशासन व प्रदेश सरकार से मिलकर वह हर संभव प्रयास भी करेगी।