‘जीवन जियो जान से’ पुस्तक के लिए पं. हरि ओम शर्मा को गुलाब राय पुरस्कार
उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा सम्मानित किये जाने वाले लेखकों व साहित्यकारों की घोषणा
लखनऊ : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने हिन्दी साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को उनकी अद्भुद कृति ‘जीवन जियो जान से’ के लेखन हेतु ‘गुलाब राय पुरस्कार’ से नवाजे जाने की घोषणा की है। पं.शर्मा के नाम की उद्घोषणा फर्श से अर्श तक का सफर करने की अनूठी मिसाल है, जिन्होंने अत्यन्त बेहद साधारण परिस्थितियों व परिवेश में लेखन की शुरूआत की। पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित पुस्तक ‘जीवन जियो जान से’ मुख्यतः समाज के वरिष्ठ नागरिकों को समर्पित है तथापि किशोरवय पीढ़ी, युवा पीढ़ी एवं बुजुर्ग पीढ़ी के बीच समन्वय स्थापित करने पर जोर देती है। वस्तुतः यह पुस्तक वरिष्ठ नागरिकों के आत्मबल को जगाकर उन्हें समाज के मार्गदर्शन हेतु प्रेरित करती है ताकि उनके अनुभवों, वैचारिक उत्कृष्टता एवं आध्यात्मिक ऊँचाइयों का समाज के प्रत्येक सदस्य को मिल सके एवं आने वाली पीढ़ियों को उज्जवल भविष्य मिल सके। यह पुस्तक प्रौढ़ती की दहलीज पर पहुँचे बुजुर्गवारों के व्यक्तित्व को बहुआयामी स्वरूप प्रदान करती है, जीवन जीने की विधि सिखाती है, साथ ही किशारों व युवाओं का मार्गदर्शन भी करती है।
पुरस्कारों की घोषणा के उपरान्त एक अनौपचारिक बातचीत में पं. शर्मा ने अपने सुधी पाठकों, शुभचिन्तकों व लखनऊवासियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हालांकि कई सम्मान और पुरस्कार मुझे मिले हैं परन्तु उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा पुरस्कार की घोषणा से मैं अभिभूति हूँ। यह सम्मान मेरे लिए सौभाग्य की बात है। इस सम्मान का श्रेय अपने पाठकों को देते हुए श्री शर्मा ने कहा कि पाठकों के अपार स्नेह व सहयोग की बदौलत ही मेरी सभी 15 पुस्तकें अल्प समय में देश विदेश में लोकप्रिय हुई हैं। पं. शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकों में ‘जागो, उठो, चलो’, ‘अवेक, एराइज, असेन्ड’, ‘जड़, जमीन, जहान’, ‘हार्वेस्ट ऑफ ह्यूमन वैल्यूज’, ‘जिद, जुनून, जिन्दादिली’, ‘सच करें सपने’, ‘कैसे बनें सफल माता-पिता’, ‘अपना रास्ता खुद बनायें’, ‘छोटी बातें, बड़े परिणाम’, ‘आओ करें ईश वन्दना’, ‘योर डेस्टिनी इज इन योर हैण्ड्स’, ‘गिव विंग्स टु योर चाइल्ड’, ‘जीवन जियो जान से’, ‘आईडियाज दैट इम्पॉवर’ एवं ‘12 महीने 365 दिन’ शामिल हैं।
पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के निजी सचिव राजेन्द्र चौरसिया ने बताया कि पं. शर्मा अब तक 15 पुस्तकें लिख चुके हैं एवं उनकी लेखनी अनवरत् गतिमान है। पं. शर्मा के उत्कृष्ट लेखन को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी सराहा गया है तथापि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, तत्कालीन राष्ट्रपति डा. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, मॉरीशस के तत्कालीन राष्ट्रपति अनिरुद्ध जुगनाथ, नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ समेत अनेकों विश्वविख्यात हस्तियों ने पं. शर्मा के लेखन की मुक्त कंठ से सराहना की है। इसके अलावा साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए पं. हरि को विभिन्न उपाधियों व सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें पत्रकार गौरव सम्मान, सागरिका सम्मान, साहित्य मनीषी सम्मान, साहित्य सागर सम्मान, प्रकृति रत्न सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य सम्मान, ‘शब्दश्री’ सम्मान, सारस्वत सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान एवं सृजन सम्मान आदि प्रमुख हैं।