शास्त्रों में पूजा-पाठ के नियमों के बारे में बताया गया है। पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाली ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें पूजा करते समय या पूजा खत्म होने के बाद जमीन पर नहीं रखना चाहिए।ब्रह्मवैवर्तपुराण पुराण के अनुसार, पूजन में मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि का दीपक इस्तेमाल करना शुभ होता है। धातु शुद्ध होने के साथ-साथ दीपक जलाने में इस्तेमाल होने वाला घी भी शुद्ध होना चाहिए। पूजन करते समय हमेशा देसी घी का प्रयोग करना चाहिए। दीपक को कभी जमीन पर न रखकर, किसी पत्थर, लकड़ी के टुकड़े आदि पर रखना चाहिए।
इससे दीपक की सकारात्मक ऊर्जा आपको मिलती है, धरती में नहीं जाती। दीपक में इस्तेमाल होने वाली बाती साफ रुई की होनी चाहिए।
घर के मंदिर की साफ-सफाई करते समय या पूजा की तैयारी के दौरान हम भगवान के वस्त्र, आभूषण या सिहांसन आदि को जमीन पर रख देते हैं। ऐसा करने से उनकी शुभता खत्म हो जाती है और देवी-देवता नाराज होते हैं। भगवान के वस्त्र-आभूषण को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। हवन या यज्ञ के दौरान देवी-देवताओं की प्रतिमा आदि को घर के मंदिर से उतारकर हम जमीन पर बने आसान पर विराजमान करते हैं।
हवन-पूजन के समय देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। इन्हें लकड़ी या किसी पवित्र धातु की चौकी पर थोड़े चावल रखकर स्थापित करें। ऐसा करने से पूजन का पूरा लाभ प्राप्त होगा। जनेऊ को साफ कपड़े पर रखना चाहिए, क्योंकि ये देवताओं को मुख्य रूप से अर्पित की जाती हैं।
पूजा-पाठ में प्रयोग किए जाने वाले रत्न, मणि या पवित्र पत्थर जमीन पर न रखें। ऐसा करने से गरीबी और दरिद्रता बढ़ती है। शास्त्रानुसार, अगर आप नियमित पूजा करते हैं, तो अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि में निषेध माने गए कार्यों को करने से बचना चाहिए। नहीं तो, पूजा निष्फल हो सकती है।
बिना नहाये पूजन करना या भगवान की वंदना करना भी अशुभ होता है। नहा धोकर साफ वस्त्र पहनकर ही पूजा करें । बहुत से लोगों की आदत होती है कि वह नहाकर बिना कपड़े पहने पूजा करने लग जाते हैं। ऐसा करना सही नहीं माना जाता। पूजन के दौरान धूप या अगरबती जलाने के दौरान माचिस या अगरबती की अग्नि को फूंक माकर न बुझाएं। इन्हें हाथ से हवा करके बुझाएं। शंख आदि को बजाने के बाद उन्हें धोकर रखें। पूजा के कमरे में अशुद्ध वस्तुएं, बेकार का सामान, मदिरा, सूखे फूल, मृत व्यक्तियों के चित्र लगाना भी अनष्टिकारी होता है।