अजब-गजब

पूरे 256 वर्ष तक जीवित था ये इंसान, जाने इसके पीछे का राज

आज हम खुद ही अनुमान लगा लेते हैं कि 50 की उम्र  भी पार नहीं कर पाते  यदि कर भी जाएं तो बहुत होगा। हालांकि ऐसा सोचना भी सही है। क्योंकि आजकल की दौड़-भाग वाली जिंदगी में आमतौर पर इंसान 80 से 90 वर्ष ही जी पाता है।

आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 100-200 नहीं, बल्कि पूरे 256 साल की उम्र तक जीवित रहा।  इनका नाम है ली चिंग युए। इतिहासकारों ने बताया है कि ली चिंग का जन्म 3 मई 1677 को चीन के कीजियांग जिले में हुआ था। जबकि अन्य का दावा है कि उनका जन्म साल 1736 में हुआ था। उनकी मृत्यु 6 मई 1933 को हुई थी। साल 1928 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के एक संवाददाता ने लिखा कि ली के पड़ोस में रहने वाले कई बुजुर्गों का कहना था कि जब उनके दादा लोग बच्चे थे, तो वो ली चिंग को जानते थे, वो उस समय भी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति थे।

ली चिंग प्रख्यात चाइनीज हर्बलिस्ट, मार्शल आर्टिस्ट और सलाहकार थे, जिन्हें सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने के लिए जाना जाता है। ली चिंग महज 10 साल की उम्र से ही हर्बल मेडिसिन का बिजनेस करने लगे थे। उन्हें हर्बल के साथ-साथ मार्शल आर्ट्स में भी महारथ हासिल थी। ली 71 साल की उम्र में मार्शल आर्ट्स ट्रेनर के तौर पर चीन की सेना में शामिल हुए थे। कहा जाता है कि ली चिंग ने 24 शादियां की थीं, जिनसे उनके 200 से अधिक बच्चे थे।

1930 में ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, चीन की चेंगडू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वू चुंग-चीएह ने 1827 में ली चिंग को उनकी 150वीं वर्षगांठ, जबकि साल 1877 में उनकी 200वीं वर्षगांठ के मौके पर शुभकामनाएं दी थीं।

कहा तो ये भी जाता है कि ली चिंग ने अपनी जिंदगी के शुरुआती 100 साल तक लिंग्जी, गोजी बेरी, जींसेंग, वू और गोडू कोला जैसी जड़ी-बूटियों को इकट्ठा किया और उन्हें बेचा। उन्होंने अपनी जिंदगी के अगले 40 साल सिर्फ जड़ी बूटियों के सहारे गुजारे। वो कई तरह की जड़ी-बूटियों के साथ-साथ चावल से बनी शराब को भोजन के रूप में लेते थे।

ली चिंग की लंबी उम्र के पीछे का रहस्य ये है कि वो नींद लेते थे, कबूतर की तरह बिना आलस के चलते थे, कछुए की तरह आराम से बैठते थे और अपने दिल को हमेशा शांत रखते थे। ली चिंग की जिंदगी में व्यायाम और डाइट का बहुत बड़ा हाथ रहा। वो मन और तन की शांति को लंबी उम्र तक जीने का सबसे बड़ा कारण मानते थे।

Related Articles

Back to top button