उत्तर प्रदेशराजनीतिलखनऊ

पूर्वांचल का हाल बेहाल, दम तोड़ रही यहां की अर्थव्‍यवस्‍था: अनूप पांडेय

लखनऊ: पूर्वांचल से 8वें सीएम बने हैं योगी आदित्‍यनाथ। उनसे पहले पूर्वांचल से संपूर्णानंद, सुचेता कृपलानी, कमलापति त्रिपाठी, त्रिभुवन नारायण सिंह, कमलापति त्रिपाठी, राम नरेश यादव और वीर बहादुर सिंह प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं। पूर्वांचल पीपुल्‍स पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अनूप पांडेय ने बताया ‘पूर्वांचल के युवाओं को रोजगार के लिए दिल्‍ली, मुंबई या अन्‍य बड़े शहरों की ओर रूख करना पड़ता है। यहां से युवा बड़ी संख्‍या में पलायन कर रहे हैं।’ अनुप पांडेय ने कहा कि मस्तिष्‍क ज्‍वर, इंसेफेलाइटिस, खराब सड़कें और ठप पड़ चुकी अर्थव्‍यवस्‍था पूर्वांचल की पहचान बन चुकी है। यहां पर मस्तिष्क ज्वर से लगभग हर साल सैंकड़ों मौतें होती रही हैं। पिछली सरकारों ने केवल वादे और दावों पर ही ध्यान दिया। यहां पर चीनी मीलें, कारखाने, बड़ी फैक्‍ट्री, हथकरधा उद्योग, साड़ी उद्योग, कताई मीलें और बुनकरों की हालत बदतर है। यहां का किसान बेहाल है। उसे कभी सूखा की दोहरी मार झेलनी पड़ती है, तो कभी बाढ़ का कहर। सरकार के पास इसका कोई स्‍थाई हल नहीं है।
उन्‍होंने कहा कि जब तक पूर्वांचल अलग राज्‍य का गठन नहीं होगा, यहां का विकास संभव नहीं है। उत्‍तर प्रदेश के हर हिस्‍से का मौसम, वातावरण, भाषाई और नौतिकता के आधार पर अलग-अलग समस्‍या है। पूर्वांचल में भूमिहीन किसान ज्‍यादा है। जिसके कारण उन्‍हें किसान कम मजदूर ज्‍यादा कहा जाता है। यहां पर करीब 2 करोड़ भूमिहीन किसान हैं। उन्‍हें दूसरे राज्‍यों में मजदूरी करने जाना पड़ता है। वहां उनके साथ भेदभाव और तिरस्‍कार का व्‍यवहार कहा जाता है। उन्‍हें प्रताडि़त किया जाता है। उनके रोजी रोटी की समस्‍या विकट है।  अनुप पांडेय ने कहा कि यहां के नेता जातीवाद और संप्रदायिकता फैलाकर राजनीति करते हैं। हर जिले में बाहुबली नेताओं का राज है। विकास से उनका कोई लेना देना नहीं है। यहां का युवा गांव छोड़कर नौकरी के लिए भटक रहा है। योगी सरकार पर उन्‍होंने कहा कि योगी आदित्‍यनाथ यहां की समस्‍या से वाकिफ हैं। इसलिए हमें आशा है कि वह पूर्वांचल का सर्वाधिक विकास करेंगे। उन्‍होंने कहा कि पूर्वांचल के विकास के लिए वह मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर क्षेत्र की समस्‍या बताएंगे। यहां के कल कारखाने, बंद कताई मिल, देवरिया की तमाम बंद चीनी मिल, बस्‍ती की मिल, खत्‍म होने की कगार पर मऊ का हथकरधा उद्योग, बजट के अभाव में बंद होने के कगार पर इंद्रा मिल, नैनी में दम तोड़ रही इलाहाबाद की बड़ी-बड़ी इकाईयों की समस्‍या उठाएंगे। प्रदेश और केंद्र सरकार को इन समस्‍याओं पर मांग पत्र दिया जाएगा। 

Related Articles

Back to top button