पूर्व छात्रों की गुंडई, लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों को दौड़ाकर पीटा
लखनऊ : विश्वविद्यालय में प्रॉक्टोरियल टीम के सदस्यों को बुधवार को परिसर में दौड़ाकर पीटा गया। उन पर पथराव भी हुआ, जिसमें 12 से ज्यादा शिक्षक चोटिल हो गए। उपद्रवियों ने कुलपति प्रो. एसपी सिंह को भी नहीं बख्शा और उनके साथ भी बदसलूकी की गई। घटना के विरोध में विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ पूर्व छात्रों को नए शैक्षिक सत्र में दाखिला देने पर रोक लगाई है। इसके विरोध में सोमवार से विश्वविद्यालय में भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन चल रहा है। कुलपति प्रो. एसपी सिंह बुधवार को दोपहर 12 बजे के आसपास प्रशासनिक भवन से एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में लेक्चर लेने जा रहे थे।
प्रशासनिक भवन के साथ पूर्व छात्र आकाश लाला कुलपति की गाड़ी के सामने लेट गया और दाखिला दिया जाने की मांग उठाई। उसके समर्थन में छात्र हिमांशु और विनय यादव भी आ गए। हालांकि, इस दौरान पुलिस ने उन्हें किनारे कर दिया। कुलपति लेक्चर लेने चले गए। कुलपति को बाहर आता देख पूर्व छात्र आशीष मिश्र ‘बॉक्सर’ समेत अन्य ने उन्हें घेरने और अपनी बात रखने की कोशिश की। इसी दौरान बहस शुरू हो गई। माहौल खराब होता देख प्रॉक्टोरियल टीम ने कुलपति को उनकी गाड़ी में बैठा दिया। पूर्व छात्र भड़के उठे और बवाल शुरू हो गया। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कुलपति की गाड़ी पर पत्थर भी मारा। इसी दौरान कुछ उपद्रवियों ने प्रॉक्टोरियल टीम पर हमला कर दिया और दौड़ाकर पीटा।
प्रॉक्टर प्रो. विनोद कुमार सिंह, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. राजकुमार सिंह, डीन सीडीसी डॉ. आरआर यादव, असिस्टेंट प्रॉक्टर डॉ. गुरनाम सिंह समेत कई अन्य के चोटें आईं। विश्वविद्यालय परिसर जब यह बवाल हो रहा था उस समय चंद कदम दूर पुलिस से लेकर पीएसी तक मौजूद थी। उनकी नाक के नीचे यह सब होता रहा लेकिन, कोई सामने नहीं आया। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि सुबह से ही कुछ उपद्रवी माहौल खराब करने का षडयंत्र कर रहे थे। समय पर इसकी जानकारी पुलिस से लेकर जिला प्रशासन तक को दी गई। लेकिन किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। चौकी इंचार्ज ने उपद्रवियों को भगाकर वहां बीच बचाव कर रहे अंकित सिंह बाबू समेत एक अन्य को हिरासत में लेकर खानापूरी कर दी। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे से फुटेज निकालकर पहचान करने की कोशिश की जा रही है। इनमें एक भी विश्वविद्यालय का छात्र नहीं है। वे खुद को समाजवादी युवजन सभा का नेता बता रहे थे। चार लोगों की पहचान की गई है। इनमें आकाश लाला, विनय यादव, हिमांशु और आशीष मिश्र बॉक्सर हैं। इनके साथ 20-25 लोग और थे जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। लगातार तीन दिन से इस तरह की घटना की आशंका जताते हुए प्रशासन को लिखा जा रहा था लेकिन प्रशासन ने सहयोग नहीं किया।
विश्वविद्यालय परिसर में हुई इस घटना के विरोध में शिक्षक एकजुट हो गए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) ने पीजी काउंसलिंग और मूल्यांकन कार्य को पूरी तरह से बंद कर दिया है। संगठन के महामंत्री डॉ. दुर्गेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुवार को विश्वविद्यालय स्टाफ क्लब में लूटा की आम सभा की एक आपात बैठक का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आगे के फैसले लिए जाएंगे। उधर, लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) भी इनके समर्थन में उतर आया है।