पेड़ों को बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन’ की तैयारी
दस्तक टाइम्स/एजेंसी-मध्यप्रदेश : भोपाल। प्रदेश में पेड़ों की 53 प्रजातियों को वन विभाग द्वारा ट्रांजिट परमिट(टीपी) से मुक्त करने के निर्णय का जर्बदस्त विरोध शुरू होने के आसार हैं। कई संगठनों ने निर्णय को बेतुका बताकर पुनर्विचार की मांग व कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है, वन कर्मचारी इसके विरोध में ‘चिपको आंदोलन’ की बात कह रहे हैं। सेवानिवृत्त अफसरों का मानना है कि इतना बड़ा निर्णय दुधारी तलवार पर चलने जैसा साबित होगा।
जानकार सूत्र बताते हैं कि वन विभाग ने कभी इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों को टीपी से मुक्त नहीं किया। अब तक सिर्फ सात पेड़ ही टीपी से मुक्त थे। अमरूद, नींबू-संतरा-मौसंबी जैसे फलदार और पीपल, बरगद, नीम, मीठी नीम, गूलर जैसे पेड़ अब कट सकेंगे। यह पेड़ शहरी आबादी में या गांवों में खूब हैं। निर्णय के पीछे लकडी माफिया की दिलचस्पी की चर्चा हैं, क्योंकि टीपी मुक्त करने के निर्णय से पहले ही कई इलाकों में पेड़ कटाई शुुरू हो गई थी।
विभाग के मुखिया नरेंद्र कुमार का कहना है कि लोगों को लकडी के परिवहन की सुविधा दी गई है, पेड़ काटने की अनुमति राजस्व अफसर या निकाय देंगे। उधर विभाग के पूर्व पीसीसीएफ डॉ रामप्रसाद कहते हैं कि इस निर्णय के कई मतलब निकलेंगे, लोगों में पेड़ काटने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। इस पर नजर कैसे रखी जाएगी?
कर्मचारी लामबंद
टीपी संबंधी निर्णय की जानकारी से वन कर्मचारी ही लामबंद हो गए हैं। कर्मचारी महामोर्चा संयोजक जयदीप चौहान ने कहा कि वन मंत्री डॉ गौरीशंकर शैजवार से मिलकर अधिसूचना निरस्त करने की मांग होगी। मैदानी स्तर पर चिपको आंदोलन की तरह इसके विरोध की रूपरेखा तय होगी।
अब तक यह थे टीपी मुक्त पेड़: नीलगिरी, कैसूरिना, सुबबूल, पापलर, इजरायली बबूल, विलायती बबूल, खमेज
फैसला खतरनाक
यह निर्णय दुधारी तलवार की तरह है, समाज के विभिन्न वर्गों से इस बारे में सुझाव लिए जाने थे। इससे सहूलियत व पर्यावरण संतुलन के मद्देनजर बेहतर राय आतीं। इस आदेश का मसौदा निर्णय के पहले जिलों में पहुंचना भी आश्चर्यजनक है,इससे कई पेड़ कटे। वन अफसरों में दूरगामी चिंतन की प्रवृत्ति कम हो रही है। – डॉ रामप्रसाद, सेवानिवृत्त पीसीसीएफ मप्र
शासन ने पेड़ों का मामला लोगों के विवेक पर छोड़ा है,ताकि वे अनुपयोगी पेड़ कटवाकर नए लगाएं। लेकिन विभाग को भी कडी नजर रखनी होगी,नए पेड़ लगाने का सघन अभियान चलाना होगा। – वीआर खरे, सेवानिवृत्त पीसीसीएफ
प्रदेश में वन क्षेत्र कम हो रहा है,लोगों में पेड़ लगाने की प्रवृत्ति घट रही है। यह निर्णय हरियाली का सफाया करेगा, माफिया पनपेेंगे। धार्मिक महत्व के पेड़ों पर कुल्हाडी चलेंगी। सरकार इस पर पुनर्विचार करे, अन्यथा हम इन निर्णय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे व न्यायालय की शरण लेेंगे।