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पैगंबर के वंशज ने कहा: तलाक सबसे बुरी चीज, फिर भी अटल है इस्लाम का कानून

ashraf2_1477038450रायपुर।पैगंबरे इस्लाम के वंशज अबुल हसन सैय्यद मोहम्मद अशरफ का साफ कहना है कि ‘तीन तलाक’ के नियम में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता। हालांकि वे ये भी मानते हैं कि इस्लाम में तलाक सबसे बुरी चीज मानी जाती है। जानिए क्या कहते हैं अशरफ…
  
– मुस्लिम समाज के सर्वोच्च धर्मगुरुओं में से एक अशरफ इन दिनों छत्तीसगढ़, ओडिशा और एमपी के दौरे पर हैं।
– रायपुर में दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने चर्चित तीन तलाक के मुद्दे पर बेबाकी से अपनी बात रखी।
– उन्होंने कहा- “इस्लाम में जो चीज सबसे बुरी मानी जाती है वो तलाक है। इसे खुदा ने भी सबसे नापसंद चीज फरमाया है।”
– “इसके बावजूद कोई शख्स अपनी बीवी को तीन बार तलाक कहता है को शौहर-बीवी का तलाक हो जाएगा।”
– वह आगे कहते हैं- “शरीयत के इस कानून में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।”
 
‘तलाक को गलत तरीके से किया जा रहा पेश’
– सैय्यद अशरफ का दावा है कि तलाक लेने को कुछ लोग गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
– उन्होंने कहा- “पैगंबरे इस्लाम ने जो तालीम दी है उसमें तलाक देने पर कई बंदिशें हैं। इनका ख्याल रखना भी जरूरी है।”
– “ऐसा नहीं है कि बीवी से झगड़ा हो गया और उसे तीन बार तलाक कह दिया जाए। इस तरह की तालीम इस्लाम ने कभी नहीं दी है।”
– “शरीयत के कानून में साफ है कि किसी शौहर और बीवी का झगड़ा हो रहा है या बीवी शौहर से तमीज से पेश नहीं आ रही है, उसके मां-बाप यानी अपने सास-ससुर को दुख पहुंचा रही है, बार-बार वो काम कर रही है जिसकी मनाही है तो शौहर उसे समझा सकता है।”
– “समझने पर भी न माने तो केवल एक बार तलाक कहे। इसके बाद उसे एक महीने तक सुधरने का मौका दे। इसके बाद भी न माने तो दूसरी बार तलाक कहे और फिर एक महीने का समय दें और आखिर में जब बात पूरी तरह से बिगड़ जाए तो तीसरा तलाक कह सकता है।”
– अशरफ ने कहा- “जिस तरह लोगों को पता रहता है कि हत्या करने पर आईपीसी के तहत उम्र कैद की सजा है, लेकिन फिर भी कोई हत्या कर देता है तो उसे माफ नहीं किया जा सकता है। वो अपराधी ही होता है। ठीक उसी तरह तलाक खुदा को सबसे नापसंद है, लेकिन किसी ने तीन बार कह दिया तो तलाक हो जाता है।”
 
शरीयत के कानून में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए
– मौलाना अशरफ ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि हम किसी भी तरह के आलम में इस्लाम के कानून के नहीं बदल सकते।
– उन्होंने कहा- “शरीयत का कानून अटल है। इसलिए इसमें बदलाव की गुंजाइश नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार को भी इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।”
– उन्होंने सरकार को सलाह दी- “केंद्र सरकार के आला लोगों को चाहिए कि इस तरह के मामलों को वे इस्लाम की नजर से देखें।”
– “मुस्लिम समाज हर तरह से देश की तरक्की और अमन चाहता है, लेकिन इस्लामी कानून को बदलने की कोशिश की गई तो उसका विरोध जरूर होगा।

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