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पोरियाहुर में सभी बच्चे कुपोषित, नहीं मिलता पोषण आहार का लाभ

poriahur_malnourished_kanker_2017113_112628_13_01_2017कोयलीबेड़ा विकासखंड के माचपल्ली ग्राम पंचायत अंतर्गत पोरियाहुर एक ऐसा गांव है जहां से लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने पलायन कर लिया है। इसके चलते गांव में सन्नाटा पसरा है। सरकार की योजनाएं इस गांव में पहुंची ही नहीं है। किराए की झोपड़ी में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र के सभी 8 बच्चे कुपोषित हैं। लगभग यही हाल गांव के अन्य बच्चों का भी है। जबकि जिला प्रशासन हर वर्ष कुपोषण में सुधार होने का दावा करता है। वहीं यहां के ग्रामीणों को नक्सली जब चाहे तब आंख दिखाते रहते हैं।

इस गांव में कुल 17 बच्चे हैं जिसमें 9 बच्चे माचपल्ली स्कूल में पढ़ाई करते हैं। बांकी 8 बच्चे आंगनबाड़ी जाते हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र में मिले 3 साल की लक्ष्मी पद्दा, 6 साल की पुसु पद्दा, लक्ष्मण, मनीता और जत्ते ने बताया कि वे आंगनबाड़ी में सिर्फ खेलने-कूदने आते हैं। पोषण आहार मिलने के संबंध में बच्चों ने बताया कि उन्हें आंगबाड़ी केन्द्र में पोषण आहार कब मिला इसका याद भी नहीं है।

कभी-कभार ही पोषण आहार मिल पाता है। जबकि सरकार द्वारा बच्चों को सुपोषित करने रेडी-टू-ईट, उबला भीगा चना, गुड़, भुना मुगफल्ली दाना के साथ-साथ अंडे, हरी सब्जी व सोयाबीन बड़ी आदि देने का प्रावधान है। इन बच्चों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पौष्टिक आहार किसके पेट में जाता होगा।

बिजली और न सड़क की सुविधा

कभी पोरियाहुर गांव में 32 परिवारों के 320 लोग रहा करते थे। मगर अब शासन की अनदेखी के चलते 11 परिवार के 63 लोग ही रह रहे हैं। गांव पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। राशन लेने संगम गांव जाना पड़ता है। गांव में बिजली भी नहीं पहुंची है। राशन दुकान से मिलने वाले मात्र 2 लीटर मिट्टी तेल से जंगल से घिरे गांव में ग्रामीण कितना और कैसे उजाला कर पाते होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है। गांव के 38 वर्षीय बुधराम ने बताया कि यहां के बच्चों को पोलियो ड्राप, सुपोषित भोजन, समय-समय पर लगाए जाने वाले टीके जैसी शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।

इंदिरा आवास भी नहीं बना

इंदिरा आवास योजना के तहत शासन के अधिकारियों ने पक्के मकान बनाने के लिए सर्वे किया है लेकिन आज तक इंदिरा आवास का लाभ किसी भी ग्रामीण को नहीं मिला। कुलेराम, रायसू, मोरडू, बुधराम, सुकलू, बैसू सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि सर्वे के लिए हमने सारे दस्तावेज जमा कर दिए हैं। चंदा करके पखांजूर तक लिखा-पढ़ी कर आए मगर आज तक इंदिरा आवास नहीं मिल पाया। कोटरी नदी के किनारे बसे इस गांव में घुसने से पहले नक्सलियों के द्वारा बनाए गए लाल रंग के स्वागत द्वार को देखकर ही अंदाजा लग जाता है कि नक्सली समय-समय पर यहां दहशत फैलाते रहते हैं।

आंकड़ों में हर वर्ष 6 प्रतिशत का सुधार

जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के अनुसार कुपोषण की स्थिति में निरंतर सुधार हो रहा है। 2015 में जहां कुपोषित बच्चों की संख्या 30.16 थी, वहीं 2016 में लगभग 6.18 प्रतिशत का सुधार करते हुए आंकड़ा 24.97 पहुंच गया है। जबकि इस वर्ष अक्टूबर तक कुपोषित बच्चों की संख्या 21.85 प्रतिशत हो गया है। यानि प्रतिवर्ष कुपोषण दर में 6 प्रतिशत का सुधार है। ये आंकड़े विभागीय सूत्रों पर आधारित है। मगर जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाते। इतना ही नहीं कई केंद्रों में पोषक आहार भी ठीक तरह वितरित नहीं किया जाता है।

जांच के बाद होगी कार्रवाई

महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी एलआर कच्छप ने बताया कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। यदि शिकायत सही हुई तो नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मदद पहुंचाने कोशिश की जाएगी

माचपल्ली की सरपंच मानी बाई कुरेटी ने बताया कि गांव दूर पड़ता है। यह सच है कि पोरियाहुर के कई बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। इसके लिए प्रशासन से प्राथमिक शाला खोलने की मांग की जाएगी। गांव पहुंचने के लिए सड़क भी बन गई तो कोटरी नदी पर पुल बनाना कठिन काम है। फिर भी पोरियाहुर गांव के निवासियों को मदद पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।

 

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