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पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य-चंद्रमा को ग्रहण से शापित करते हैं राहु और केतु

Chandra Grahan 2020: भारत में चंद्र ग्रहण आज रात 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा और 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। खगोल विज्ञान के अनुसार, जहां ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसके तहत सूर्य और चंद्रमा के साथ पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में हों और दोनों के बीच में पृथ्वी आ जाती है। इस कारण सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंचता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण यह कहता है कि ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है। इस घटना में दोनों ग्रह सूर्य और चंद्रमा को शापित करते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा सुनने को मिलती है, जो इस प्रकार है:-  

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवासुर संग्राम में जब समुद्र मंथन हुआ तो उस मंथन से 14 रत्न निकले थे उनमें अमृत का कलश भी एक था। अब देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद पैदा शुरू होने लगा, तो इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। 

मोहिनी के रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ। वह असुर छल से देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गए और अमृत पान करने लगा।

देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को पहचान लिया। इस बात की जानकारी दोनों ने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया।

इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण से शापित करते हैं। पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण और अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है।

ज्योतिष के अनुसार राहु-केतु को पापी ग्रह माना गया है। राहू-केतु शनि की तरह अनिष्टकारी परिणाम देने के लिये जाना जाता है। कुंडली में राहू-केतु की स्थिति अशुभ होने पर जातक को धातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जो भी व्यक्ति राहु के लपेटे में आता है उसे तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है।

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