![](https://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2017/04/Kishori-Amonkar-dies-of-classical-music-singer.jpg)
नई दिल्ली। खयाल, ठुमरी और भजन गायकी की बेहतरीन आवाजों में शुमार किशोरी अमोनकर अब नहीं रहीं। उनका सोमवार देर रात मुंबई स्थित आवास पर निधन हो गया। अमोनकर 84 वर्ष की थीं। उन्हें जयपुर घराने का प्रवर्तक माना जाता है। वह कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं।
![प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका किशोरी अमोनकर का निधन](http://dastaktimes.org/wp-content/uploads/2017/04/Kishori-Amonkar-dies-of-classical-music-singer.jpg)
10 अप्रैल 1932 को मुंबई में जन्मीं किशोरी अमोनकर ने अपनी मां मोगुबाई कुर्दीकर से संगीत की शिक्षा ली, जो जयपुर घराने की शास्त्रीय गायिका थीं। अमोनकर को भारतीय शास्त्रीय संगीत की सबसे बेहतरीन गायिकाओं में गिना जाता है। उनकी आवाज में ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए’ राग भैरवी में सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
उन्होंने शास्त्रीय विधा में खयाल और लाइट क्लासिकल म्यूजिक के ठुमरी व भजन गायकी में देश- विदेश में अनेक प्रस्तुतियां दीं। संगीत के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए अमोनकर को वर्ष 1987 में पद्म भूषण और साल 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 2010 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी की फेलोशिप दी गई।
प्रख्यात गायिका होने के अलावा अमोनकर एक कुशल वक्ता भी थीं। संगीत में रास के सिद्धांत (भाव, मनोभाव) पर उनके व्याख्यान काफी चर्चित रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने उनके निधन पर शोक जताया और उन्हें शास्त्रीय संगीत की अगुआ बताया।