नई दिल्ली : भारतीय सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज देश की अर्थव्यवस्था के लिए मुसीबत बन गए हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) का घाटा 79,000 करोड़ रहा और 8.6 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप में फंसे हुए हैं। दोनों ही भारतीय बैंकिंग इतिहास में सर्वाधिक है। हालांकि, खराब प्रदर्शन के बावजूद सरकारी बैंकों ने अपने कर्मचारियों को निजी बैंकों के मुकाबले अधिक वेतन वृद्धि दी। सरकारी बैंकों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में 9.7 फीसदी से 11.48 लाख रुपये तक की वृद्धि की तो प्राइवेट बैंकों में यह महज 2.6 फीसदी से लेकर 7.7 लाख रुपये था। हैरत की बात यह है कि सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का शिकार होने के बावजूद पंजाब नैशनल बैंक ने अपने कर्मचारियों को 64.5 फीसदी से लेकर 12.32 लाख रुपये तक वेतन वृद्धि दी।
भारतीय बैंकों की तुलना यदि वैश्विक हालात से करें तो भारत एनपीए के मामले में तीसरे नंबर पर है। वर्ल्ड बैंक ने 150 देशों की सूची जारी की जिसमें भारत इटली और रूस के बाद तीसरे नंबर पर है। पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रति कर्मचारी खर्च में बढ़ोत्तरी मुख्य रूप से रिटायरमेंट लाभ और कर्मचारियों की अधिक औसत आयु की वजह से है। प्राइवेट बैंकों में औसत आयु 30 वर्ष है तो सरकारी बैंकों में यह 40 वर्ष है।